पृष्ठ:दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता.djvu/३०७

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३०४ दोगी गाना की मो कहां ताई कहिए? वार्ता ।। १४३॥ ? शीगनासीनीगrtm गो, पाने" पागोनिगमोगामा:- भानप्रकाग-- गजग मनालीलानी नाम | से मपानी' में प्रगटी .. नातं उनके II मा un मो वह डोकरी गजनगर में रहती। मो जब श्रीगुसांईजी राजनगर पधारे तत्र बोहोत में देवी जीय वष्णव भा है। नाम येह मेवक भई है। नो वा डोकरी के माये श्रीवाकृष्णजी विराजत हते। मो वह बालपने ने विधवा भई हती। मा वालपने ने मेवा करत करत वृद्ध भई । तब एक दिना काल आयो । यो अन्नकट में आयो। मो वा डोकरी को श्रीगुसांईजी की कृपा ते वर काल मृर्तिमान दी। तत्र काल ने कही. जो - अब यहां न चली । नत्र वा डोकगने कही, जो- मेरे श्रीठाकुरजी के अन्नकट की उत्सव आयो । नातं मैं नाहीं आऊँ। नव काल तो फिरि गयो। मो अन्नकट पाठे फरि काल आयो । तब डोकरी ने कही. जो - अब तो प्रबोधिनी आई तात में तो नाहीं आऊँ। तब काल पाली गयो। मो कतेक दिन पाछे वह फेर आयो । तब डोकरी ने कही, जो अब तो श्रीगुसांईजी को उत्सव आयो, तातं में अवही नाहीं आऊ । ता पाठे काल फिरि गयो । पछि वसंतपंचमी पं काल आयो । तब डोकरी ने कही, जो-अव तो वसंतपंचमी को उत्सव आयो । तातें हों तो नाहीं आवति हूँ। तब काल फरि गयो। सोकाल फेरि डोल पैं आयो । तव डोकरी न कही. जो- अब तो डोल