पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/११४

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पं० पद्मसिंह शर्मा जी के पत्र द्विवेदी जी के नाम दोनों पुस्तकों के अनुवाद की सहायता में फी पुस्तक १००J.रु० के.हिसाब से २००) दे देंगे चाहे उन्हें कोई प्रकाशित करै। ___ अब आप अन्य किसी प्रकाशक यजमान को तलाश कीजिए। इन्हें पक्का समझिए। ठाकुर साहब कांग्रेस के मौके पर बनारस जाते हुए आपसे मिलेंगे भी। वे यह भी कहते थे कि हमने अपने जामाता को (जो अंग्रेजी में बी० ए० है) सरस्वती के लिए लेख लिखने को कहा है। यदि उनका कोई लेख पहुंचे तो आप उसे (यदि उचित हो) सरस्वती में स्थान दे दीजिए। ____ मैं ९-१२- के बाद १०-१२ दिन के लिए अपने जन्मस्थान (जिले बिजनौर) को जाऊंगा। विद्यालय के पुस्तकों के विषय में वहाँ से वापस आकर (यदि हो सका तो पहले ही आपको सूचना दूंगा। लाहौर से आपकी टोपी आ गई है। उसे कल या परसों आपकी पुस्तकों के साथ रवाना करूंगा। पट्टी या टोपी के पैसों की बाबत में आपको कुछ न लिखूगा। क्षमा कीजिए। 'भाषा और व्याकरण' के ऊपर यदि कोई कुछ (विपक्ष में) लिखें तो उसका पता मुझे भी दीजिए। सरस्वती की एक कविता में 'पंजाब' के लिए 'पांचाल शब्द का प्रयोग हुआ है । यह ठीक नहीं। देवराज की 'पांचाल पण्डिता' पर बड़े ऐतराज हुए थे। 'पांचाल' फर्रुखाबाद और कन्नौज के पास की भूमि का नाम है। पंजाब 'पंचनद हो सकता है 'पांचाल' नहीं। इस पर आपका नोट चाहिए था। .. आशा है आप महाराजा छत्रपुर के यहाँ हो आए होंगे। आपके इस राज सम्मान से बड़ी प्रसन्नता हुई। परमात्मा भारत के राजाओं को सुमति दे कि वे आप जैसे विद्वानों के सत्संग से लाभ उठाना सीखें। हस्तलिखित पुस्तकें पढ़ीं सच तो यह है कि आप भी बस अपने वक्त के एक ही हैं। आपका नवनीत वास्तव में नवनीत क्या सुधा है। . . ___यदि कहीं आपकी यह कविता प्रकाशित हो सकती तो सहृदय-रसिक जान सकते कि "अभी कुछ लोग बाकी हैं जहां में"। ___इस विषय पर इससे अधिक सरलता और सरसता से इतने विशद रूप में और कोई भला क्या लिखैगा? धन्य हो कवे ! आपने तो इस गुण में अगले पिछले सब कवियों को मात कर दिया ! ! इस कविता को पढ़कर आपकी अद्भुत प्रतिभा और अपूर्व रसिकता की प्रशंसा के लिए शब्द ही नहीं मिलते । “भगवति कविते सौभाग्यवत्यसि, या सतोदश कविवरेण समुपलालितासि।.. . आपका तरुणोपदेश नवयुवकों के लिए संजीवनी बूटी है । उसे पढ़कर खेद