पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/१८

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श्री पं० जनार्दन झा 'जनसोदन' जी के नाम (१) झांसी महाशय आपका कृपापत्र आया । जीवनचरित' भी मिला। उसके छापने का हम यथा- समय विचार करेंगे। इसे आप किसके नाम से प्रकाशित कराना चाहते हैं। इसमें कुछ हेरफेर की जरूरत होगी। आपने हमारे विषय में जो कुछ लिखा उसके लिए हम आपको धन्यवाद देते हैं। बहुत अच्छा, आप अपनी कविता और अपना लेख भेजिए। कृपा होगी। भवदीय महावीरप्रसाद द्विवेदी (२) कानपुर १२-२-०३ प्रिय पंडित जी, प्रणाम शिक्षा-शतक की तो समाप्ति हो गई। अब ‘पश्चात्ताप' की बेला है। कृपा करके उसे भी शीघ्र ही समाप्त करके भेज दीजिए तो छपना शुरू हो जाय। __आशा है, अब श्रीमान् राजा साहब बखूबी आराम हो गए होंगे और सब काम-काज करने लगे होंगे। भवदीय महावीरप्रसाद द्विवेदी १. श्री जनार्दन झा जनसीदन' जी न राजा कमलानन्द सिंह साहब को जीवनी लिखकर भेजी थी, जिसे सुधार कर 'सरस्वती'-संपादक को अपने नाम से छापने का अधिकार दिया था। द्विवेदी जी ने उसे जून, १९०३ को 'सरस्वती' में प्रकाशित किया था। २. राजा कमलानंद सिंह।