पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/१८५

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पं० पद्मसिंह शर्मा जी के पत्र द्विवेदी जी के नाम स्वामी दर्शनानंद, पं० गणपति, मा० आत्माराम जी और पं० तुलसीराम जी के व्याख्यान और शास्त्रार्थ आपको अगले उत्सव पर सुनावेंगे। रघुवंश विमर्श मंगाया है, कल पत्र लिखा है, देखें कैसा है। अप्पा जी का 'माल- विकाग्निमित्र' भी मंगाते हैं। पंडितराज के 'रस गंगाधर' पर किसने लिखा है ? आपने बतलाया था, ग्रंथ का नाम और पता लिखिए। मंगावेंगे। कृपापात्र पद्मसिंह (७२) ओम् स्वामी नित्यानंद जी की शांत कुटी शिमला ३०-७-०९ श्रीमान्यवर पंडित जी प्रणाम मैं यहां ५-६ दिन के लिये एक काम से और सैर की गरज से आया हूं। बड़ी अदभत जगह है। यहाँ प्रकृति देवी नाना रूप में अभिनय करती हई दर्शक के चित्त को विमग्ध बना देती है। आजकल भी यहां खब सरदी पडती है। दिन भर कोहर 'बरसता रहता है, सूर्यदेव दिन में कभी कभी एक आध मिनट को दर्शन दे जाते हैं। मेरी राय में यदि कुछ दिनों के लिए आप यहाँ पधारें तो जरूर फायदा हो। स्वामी जी की कुटी बड़ी सुंदर और अच्छी जगह पर है। यहां रहने में सब प्रकार का सुभीता रहेगा। स्वामी जी सादर आपका आतिथ्य करेंगे। चलते समय आपका कृपाकार्ड मिला था। आशा है अब आंखें अच्छी हो गई होंगी। उस दिन हरद्वार में सेक्रेटरी साहब मिले थे। आपको पूछते थे और शिकायत करते थे कि "पंडित जी हमें बिलकुल भूल ही गये, एक भी कुशल-पत्र नहीं भेजा" सो भेज दीजिए। में २-८ तक ज्वाला' पहुंचूंगा। और वहाँ से एक डिपूटेशन विद्यालय के लिए 'उठनेवाला है जो राजपूताने की ओर जायगा, उसमें मुझे भी जाना होगा। डिपु- -टेशन २-३ महीने घूमेगा। कविताकलाप' निकला कि नहीं? १.ज्वालापुर--सं०