द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र रसरहस्य के कर्ता कुलपति सतसईकार बिहारी के भानजे थे, ऐसा कई लोगों ने लिखा है। उससे कुछ बिहारी के सम्बन्ध में जाना जा सकेगा। इसलिये भिजवा दीजिये। एकाध बात किसी विषय में मालूम हो गई तो दाम वसूल है। इंडियन प्रेस में चित्र का ब्लाक बनवाने के क्या नियम हैं ? सतसई छप रही है, गौड़ जी कहते हैं कि उसमें मेरा चित्र भी रहे। पुस्तक का १ भाग विजयदशमी तक निकल जायगा। इस बीच में ब्लाक बनकर चित्र छप सकेगा। क्राउन १६ पेजी साइज का चित्र होगा। २००० कापियां छपेंगी। यदि यह काम सुचारु रूपेण वहाँ हो सके तो मालम करके लिखिए। श्रीयुत पंडित लल्लीप्रसाद जी पांडेय भवदीय "बालसखा विभाग" पद्मसिंह शर्मा इंडियन प्रेस, प्रयाग ओम् पांडेय जी बनारस, नन्दनसाह की गली प्रणाम २-८-१८ अचानक आपका पत्र और पता पाकर आश्चर्यचकित और हर्षान्वित हो गया हूँ। अज्ञातवास का कुछ कारण न विदित हुआ, बहुत कुछ पूछना और कहना है। “प्रहसन" का मसविदा जरा भेज दीजिये तो किसी प्रशासक पारखी को दिख- लाऊँ, शायद किसी की नजर पर चढ़ जाय। बाकी फिर कभी। श्री लल्लीप्रसाद जी पाण्डेय भवदीय इंडियन प्रेस, प्रयाग पद्मसिंह शर्मा (४) ओम् बनारस नन्दनसाह की गली २०-८-१८ पांडेय जी महाराज नमस्तेस्तु .१७-८ का कृपाकार्ड मिला ।प्रहसन की प्रतिलिपि का पैकट मुझे यथासमय मिल गया था, उसकी पहुंच और चिट्ठी का संक्षिप्त उत्तर मैंने उसी दिन लौटती डाक से भेज दिया था, न मालूम क्यों नहीं पहुंचा।
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