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पं० पसिंह शर्मा जी के पत्र लल्लीप्रसाद पाण्डेय जी के नाम १९५ इंडियन प्रेस का पता लिखा था, पत्र पहुंचना चाहिए था, आप वहां दरयाफ्त कीजिये। प्रहसन की कापी मैं अभी नहीं देख सका, यथावकाश निश्चिन्तता से देखना चाहता हूँ, जैसी आप चाहते हैं वैसी यहां न छप सकेगी और बहुत देर में छपेगी यदि संचालक को पसन्द आ गई तो "हिन्दी पुस्तक एजेन्सी कलकत्ता "शायद शीघ्र प्रकाशित कर सके, उनसे बातें की जायंगी। बालसखा की तुकबन्दी के लिये कलकत्ते के प्रेमपुष्प के कवियों से बातें कीजिये तो शायद काम बन जाय। भवदीय पद्मसिंह शर्मा श्रीयुत पंडित लल्ली प्रसाद जी पांडेय इंडियन प्रेस, "बालसखा विभाग" दि इंडियन प्रेस,कटरा, इलाहाबाद