पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/२१८

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श्री बालमुकुन्द गुप्त जी के पत्र पं० श्रीधर पाठक जी के नाम ( १ ) श्री नं० ३९० लाहोर, कोहेनूर प्रेस १६-६-८८ श्रीयुत १३ जून के हिन्दोस्थान में आपका विज्ञापन देखकर मुझे चेष्टा हुई कि मैं भी आपकी नवीन ढंग की सुरस कविता को देखू । इससे पहिले मैंने काशी पत्रिका में आपका अनुवादित ऊजड़. ग्राम देखा है और मेरा जी चाहता है कि उसको पूरा देखू । इससे आप कृपा करके १ कापी उसकी मुझे भेज दें तथा और कोई ऐसी पुस्तक हो तो वो भी भेज दें, इनका मूल्य में आपके लिखने जब भेज दूंगा और कोहेनूर में अपनी मति भी प्रकाश करूंगा, । विशेष शुभ । आपका बालमुकुन्द संपादक, कोहेनूर, लाहोर (२) कोहेनूर पत्रालय लाहोर, २५-७-८८ श्रीयुत पंडित जी महाराज प्रणाम २६ जून का कोहेनूर पहुंचा होगा, उसमें एकान्तवासी योगी पर समालोचना की गई है। आज का कोहेनूर भी भेजता हूँ, इसमें आपकी लिखी श्री हरिश्चन्द्राष्टक पर समालोचना है। इसकी एक प्रति मुझे "हिन्दोस्थान" पत्र द्वारा मिली है। आशा है कि आप कृपाकर इस समालोचना को भी स्वीकार करेंगे। आपका सेवक और हिन्दीभाषाका परम अनुरागी बालमुकुन्द गुप्त सम्पादक कोहेनूर, लाहोर