पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/२२६

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२१२ द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र (१२) गुरियानी २८-८-९१ पूज्यवर प्रणाम आपका कृपाकार्ड आने से दो दिन पहिले कापी भेजी थी। आशा है कि वह मुझे आज ही कल्ह में मिलेगी। अब मैं चौथी पुस्तक की अंतिम कापी भेजता हूँ जो कल्ह पहुंचेगी। इस कापी के साथ आपकी दया से चौथा रीडर समाप्त होता है। अब आप मुझे जिस सरल पुस्तक के लिये आज्ञा करें अभ्यास करूं। वर्षा यहां बहुत है। कुछ अन्न भी ढीला हुआ है। अपना समाचार लिखिये- सेवक बालमुकुन्द गुप्त श्रीधर पाठक जी को गुरियानी २५-११-९१ पूज्यवर प्रणाम २० के कार्ड के उत्तर में सविनय निवेदन है कि आज मैंने प्रैक्टीकल इंगलिश के लिये बा० रामकृष्ण को लिख भेजा है। आशा है कि पुस्तक मुझे मिलेगी। अब कृपाकर के आप बताइये कि मैं ग्रामर क्यों कर सीखू। मेरे पास मैनुअल आफ इंग- लिश ग्रामर है। आप पढ़ने की तरकीब बताइये। उस्ताद कोई नहीं है। एक कापी उजड़ ग्राम की सनातन धर्म गजट स्यालकोट पंजाब को भेजिये और भेजने की इत्तला मुझे दीजिए, आशा है कि कुछ लाभ होगा। एक मास के लिये हिंदी बंगवासी में विज्ञापन छपवाइये। अवश्य ही कुछ पुस्तकें बिकेंगी। वह पत्र ६००० बिकता है। एक कापी उसे रिव्यू के लिये भी भेजिये, चाहे वह रिव्यू करे वा न करे,परन्तु