पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/२३५

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आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के पत्र केदारनाथ पाठक जी के नाम २२१ (५) रमई पट्टी, मिरजापुर २-८-०८ प्रियवर हरिश्चन्द्र कल बनारस से आए और कहा कि पाठक जी कहते हैं कि अब आते क्यों नहीं, देर हो रही है । इसका क्या अभिप्राय है मेरी समझ में नहीं आया; क्योंकि मुझे अबतक बाबू श्यामसुन्दरदास का कोई पत्र नहीं मिला और न आप ही ने कुछ लिखा। साफ साफ लिखिए कि क्या बात है। यदि बाबू श्यामसुन्दरदास ने कोई पत्र बुलाने के लिये भेजा हो और वह मुझे न मिला हो तो कृपाकरके एक पत्र या टेलीग्राम तुरंत भेजिए। हरिश्चन्द्र की बात मेरी समझ में न आई। ___ मैं आते समय आपके घर पर गया था, बाबू वृजचन्द्र जी के यहां भी गया था, पर आपका पता न लगा। बाबू श्यामसुन्दरदास के यहां मुझे देर हो गई थी इसी से लाइब्रेरी में नहीं गया। आते समय मैं आपसे नहीं मिला, इसका मुझे भी खेद है। पर इसमें मेरा दोष न जानकर क्षमा कीजियेगा। आपका रामचन्द्र शुक्ल मिरजापुर, शनिवार प्रियमित्र ____ पत्र भेजने में देर हुई, क्षमा कीजियेगा। मैं आपके घर पर गया था वहां सब कुशल है। मेम्बर होने के लिये पत्र में आप ही के पास भेज देता हूँ। आप उसपर दो आदमियों के हस्ताक्षर बनवा कर सभा में दे दीजियेगा। ३) वार्षिक चन्दा मैं दूंगा। वर्तमान वर्ष का आधा चन्दा १ में सेक्रेटरी के नाम भेजता हूँ। ___ मेरे लेख पर क्या विचार हुआ यह भी लिखिएगा। आप मिरजापुर कबतक आवेंगे? मेरे ऊपर कृपा बनाए रहिएगा। भवदीय रामचन्द्र शुक्ल १. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के भतीजे. .