पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/४५

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२८ द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र . (३८) जुही, कानपुर ३१-१-०९ प्रणाम कृपापत्र मिला। हमारी तबीयत अभी तक नहीं सुधरी। कोई डेढ़ वर्ष सख्त मेहनत करके संपत्तिशास्त्र लिखा। उसी का यह फल है। और कोई फल तो दूर रहा, यही पहले मिला। दिमाग खराब हो रहा है। रात को नींद नहीं आती। डाक्टरों ने कहा है, कुछ काम न करो, खूब हंसो, खेलो, गावो, बजावो । पर यहां जंगल में ये बातें कहां। कभी-कभी ग्रामोफोन बजाकर मनोरंजन किया करते हैं। श्रीमान की कन्या का प्राणिग्रहण सुनकर बड़ी खुशी हुई। ईश्वर करे जोड़ी चिरायु रहे, खूब आनन्द से रहे। बहुत ही अच्छा किया जो श्रीमान ने 'देवनागर' की सहायता की। श्रीमान की उदारता की कहां तक प्रशंसा की जाय। क्या ही अच्छा होता जो श्रीमान हैदराबाद या बरौदा की तरह किसी बड़े राज्य के अधीश्वर होते। पं० उमापतिदत्त को हमने कोई पुस्तक अभी क्या शायद कभी नहीं भेजी। उनके योग्य हमारे पास ऐसी पुस्तक है ही कौन। जो पुस्तकें कलकत्ते वालों को देखने को मिल सकती हैं वे हम अरण्यवासियों के लिए दुर्लभ हैं। उनका पत्र हमारे पास आया था। उन्होंने लेख आदि से सहायता मांगी थी। उसका हमने उत्तर तो अवश्य दिया था। पुस्तक कोई नहीं मिली। आप श्रीमान से पूछकर पुस्तक का नाम बतलाइए। हिंदी भाषा की उत्पत्ति और विक्रमांकदेवचरित चर्चा जो इंडियन प्रेस ने कुछ समय हुआ छापी थीं वे आपने देखी ही होंगी। यदि उनसे मतलब हो तो हम तत्काल भेजें। वह बहुत ही छोटी और तुच्छ पुस्तकें हैं, इसी से हमने श्रीमान को नहीं भेजीं। पर औरों को भी नहीं भेजी। यह संभव नहीं कि कोई पुस्तक श्रीमान के पढ़ने योग्य हो और हम न भेजे । ये दोनों पुस्तकें हम आपके पास श्रीमान के लिए भेजते हैं। पहँच लिखि- एगा। - 'सरस्वती' जान-बूझकर इस महीने में देरी से निकाली गई है। उसका मूल्य ४) कर दिया गया है। इससे ग्राहकों के उत्तर की अपेक्षा थी। कई दिन से वह भी जा रही है। इंडियन प्रेस को आज हम मुलायम नहीं सख्त चिट्ठी लिखते हैं कि क्यों अभी तक श्रीमान को नहीं भेजी गई। . 'कविताकलाप' के लिए कविता जिस छंद में चाहिए कीजिए। १५ पद्य से अधिक न हों। पर खूब सरस और सरल हों। नमूने की कविता होनी चाहिए। .