पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/६४

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द्विवेदी जी के पत्र ना०प्र० सभा तथा डॉ० श्यामसुन्दरवास जी के नाम ४९ मेरी अनेक पुस्तकों की कापियां सभा में मौजूद हों, पर बहुत सी न भी होंगी। मासिक पुस्तकों की जिल्दें बहुत हैं। अंगरेजी, हिंदी, उर्दू, संस्कृत, मराठी, बंगला, गुजराती की भी पुस्तकों का संग्रह है। सब खिचड़ी है। सूची कोई नहीं। आपका म०प्र० द्विवेदी (२) जुही-कलां, कानपुर २-११-२३ श्रीमन् मिती १४ कार्तिक का पत्र १३२६॥३९ मिला। सभा का 'निश्चय' जाना, मंजूर है। जहाँ तक हो सके आदमी जल्द भेजिए। दस ही बारह दिन बाद मैं यहाँ से चला जाना चाहता हूँ। जितनी पुस्तकें उठ सकें उतनी ही सही। बाकी फिर मेरे आने पर उठवा लीजिएगा। अलमारियों का प्रबंध कर रखिए। दौलतपुर की भी पुस्तकें यदि मैंने दी तो आठ-दस अलमारियां कम से कम दरकार होंगी। __पत्रव्यवहार छांटना है। दे सकूँगा तो कुछ अभी दे दूंगा। बाकी फिर। ये पत्र बंद रहें। ताले कुंजी में रहें। चाभी मंत्री के पास रहे। इनका उपयोग यदि कभी किया जाय तो, मेरे नामशेष हो जाने पर। यह कहीं लिख रखिए। कार्ड की पहुंच लिखिए। श्रीयुत मंत्री जी, नागरीप्रचारिणी सभा, बनारस आपका म०प्र० द्विवेदी