द्विवेदी जी के पत्र डॉ० बल्देवप्रसाद मिश्र के नाम ५७ इस विषय में बहुत करके राजा साहब रायगढ़ की मंजूरी दरकार होगी। अनुकूल मौका देखकर ही आप उनसे इस प्रार्थना का उत्थान कीजिएगा। . धरातुरासाहिमदर्थ याञ्चा, कार्या न कार्यांतरचुम्बिचिते। वित्तेन दूने रसने सितापि तिक्तायते दिव्य दयानिधान। प्रार्थी महावीरप्रसाद द्विवेदी (३) नमो नमस्ते विबुधावराय ___ कृपा पत्र मिला। ५०) वृत्ति नियत कराकर आपने बड़ा उपकार किया। जिन्दगी बहुत थोड़ी बाकी है। वह अब आपकी कृपा से बहुत अच्छी तरह कट जायगी। राजा साहब का नाम वगैरह तो मुझे मालूम नहीं। हिज हाइनेस राजा साहब लिखकर मैं कृतज्ञता ज्ञापक पत्र उनके नाम पोस्ट कर रहा हूँ। ऐसा प्रबन्ध कर दीजिए कि हर अंग्रेजी महीने की पहिली या किसी और ही निश्चित तारीख को रुपया भेज दिया जाया करे। अनिश्चित समय में नहीं । इससे मुझे अपने खर्च का विभाजन या नियंत्रण करने में सुभीता होगा। राजा साहब को मैंने लिख दिया ऋतु वसन्त याचक भयो, सब तरु दीन्हें पात । याही सो नूतन मिले, दीबो बृथा न जात ।। यह सब एकमात्र आप ही की कृपा का फल है मैं आपका कृतज्ञ हैं। कल्याणमस्तु भवतां हरि भक्तिरस्तु। प्रणत महावीरप्रसाद द्विवेदी