पृष्ठ:द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र.djvu/८३

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द्विवेदीयुग के साहित्यकारों के कुछ पत्र (२) दौलतपुर, रायबरेली ७-२-२८ नमोनमः आपका पोस्टकार्ड आये आज कई रोज हुए। आँखें खराब थीं, इस कारण आज तक उत्तर न दे सका। मेरी चार पुस्तकें तो इंडियन प्रेस में छप रही हैं। सात और नकल की जा चुकी और तैयार हैं। उनके नाम और परिचय इसी चिट्ठी के साथ भेजता हूं। अपनी मिहनत बचाने के लिए अभी सब की विषय सूची की नकल नहीं भेजी। जो परिचय भेज रहा हूँ उसीसे आपको उनके विषय ज्ञान का आभास हो जायगा। जो पुस्तकें पसन्द हों मंगा लीजिए। किसी की विषय सूची आप देखना चाहें तो बताइए, भेज दूं। __ आपके मंडल की आर्थिक अवस्था अच्छी है, यह जानकर सन्तोष हुआ। यह सब आपके उद्योग, कार्यकौशल, शांत स्वभाव और योग्यता का फल है। आयुष्मन् भव। आपका ह० महावीरप्रसाद द्विवेदी १. विज्ञ विनोद इसके २ भाग हैं। पहले में कवियों और महाजनों के सम्बन्ध की आख्यायिकायें हैं। दूसरे में मनोरंजक श्लोक । श्लोकों का अनुवाद भी है। ये आख्यायिकायें और श्लोक वही है जो सरस्वती में छपते रहे हैं। अधिक का सम्बन्ध कवियों, पंडितों और राजों से है। मनोरंजक हैं। १६ पेजी पृष्ठ संख्या लगभग १५०। २. वाग्विलास इसमें मेरी १४ आलोचनाएँ हैं। कड़ी कड़ी बातें हैं। प्रतिपक्षियों की दलीलों का खण्डन भी है। पृष्ठ संख्या ३०० के लगभग। ३. समालोचना समन्वय इसमें २० समालोचनायें हैं । भागवत, महाकाव्य, मगधर की झुतिकुसुमांजलि, हिन्दी नवरल, आयुर्वेद महत्ता आदि की आलोचनायें इसमें शामिल हैं । पृष्ठ संख्या कोई ३००।