पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१०३

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जी ४४ पर्च की पुस्तक । इबरानियों के संग भोजन नहीं खा सक्ने क्योंकि वह मिस्त्रियों के लिये घिन है। ३३ । और पहिलोठा अपनी पहिलोठाई के और कुटका अपनी छोटाई के समान बे रस के आगे बैठ गये तब वे आश्चर्य से एक दूसरे को देखने लगे॥ ३४ । और उम ने अपने श्रागे से भोजन उन पास भेजा परन्तु बिनयमीन का भोजन हर एक के भोजन से पंच गुन था और उन्होंने उस के साथ जी भर के पीया ॥ ४४ चौतालीसवां पर्च। पर उस ने अपने घर के प्रधान को यह कह के आज्ञा किई कि उन मनुष्यों के बोरों को जितना वे ले जा सकें अन्न से भर दे और हर एक जन का रोकड़ उस के बारे में डाल दे ॥ २। और मेरा रूपे का कटोरा छुटके के बारे के मंह पर उस के अन्न के दाम समेत रख दे से उम ने यूसुफ की आज्ञा के समान किया। ३। और ज्यांही दिन निकला वे अपने गदहे समेत बिदा किये गये। ४ । जब ये नगर से थोड़ी दूर बाहर गये युसुफ ने अपने घर के प्रधान को कहा कि उठ और उन लोगों का पीछा कर और जब तू उन्हें जा लेवे तो उन्हें कह कि किस लिये तुम लोगों ने भलाई की संती बुराई किई है। ५ । क्या यह वुह नहीं जिस में मेरा मभु पीता है उम को नाई कोई आगम का सच्चा संदेश देता है ने बुरा किया है। ६ । और उस ने उन्हें जा लिया और ये बाते उन्हें कहीं। ७। तब उन्हों ने उसे कहा कि हमारा प्रभु ऐसी बातें क्यों कहता है ईश्वर न करे कि आप के सेवक ऐसा काम कर । । देखिये यह रोकड़ जो हमने अपने थैलों में जपर पाया से हम कनान देश से आप पास फिर लाये थे से क्योंकर होगा कि हमने आपके पम के घर से रूपा अथवा सोना चुराया हो ॥ । श्राप के सेवकों में से बुह जिस के । बुह मार डाला जाय और हम भी अपने प्रभु के दास होंगे १०। तब उस ने कहा कि तुम्हारी बातों के समान होगा जिस के पास बुह निकले से मेर। दास होगा और तुम निर्देष ठहरोगे ॥ तब हर एक पुरुष ने तुरंत अपना अपना बारा भमि पर उतारा और इस में पाम निकले