पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

श्रव के १६ पो] को पुस्तक । बस्त दंगा और तुम इस देश का पदारथ खाओगे॥ १६ । सो तुझे यह अाज्ञा है यह करो कि मिस देश से अपने लड़के बालों और अपनी पत्नियों के लिये गाड़ियां ले जाओ और अपने पिता को ले प्रायो। २०। और अपनी सामग्री की कुछ चिंता न करो क्योंकि मिस्र देश के मारे पदारथ तुम्हारे हैं ॥ २१ । और दूसराएल के संता. नों ने वैमाहौ किया और यमुफ ने फिरजन के कहे के समान उन्हें गाड़ियां दिई और मार्ग के लिये भोजन दिया। २२। और उस ने उन सब में से हर एक केर बस्व दिये परन्तु उस ने बिनयमौन को तीन सौ टुकड़े चांदी और पांच जोड़े वस्त्र दिये। २३ । और अपने पिता के लिये दूस रौति से भेजा दम गदहे मिन की अच्छी बस्तन से लदे हुए और दम गद- हियां अनाज और रोटी और भोजन से लदी हुई अपने पिता की यात्रा के लिये॥ २४ । सो उस ने अपने भाइयों को विदा किया और वे चल निकले तब उस ने उन्हें कहा कि देखो मार्ग में कहीं आपस में बिगड़ो मत ॥ २५ । और वे मिस से सिधारे और अपने पिता यअयू व पास कनवान देश में पहुंचे ।। २६ । और यह कहके उसे बोले कि यूसुफ तो अब लो जीता है और बुह सारे मिस्र देश का अध्यक्ष है और यकूब का मन सनसना गया क्योंकि उम ने उन को प्रतीति न किई ॥ २७॥ और उन्हों ने यूसुफ की कही हुई सारी बातें उम से दुहराई और जब उस ने गाड़ियां जो यमुफ ने उसे ले जाने के लिये भेजी थीं देखी तो उन के पिता यअकव का नया जीवन हुआ। २८। और इसराएन बोला यह बस है कि मेरा बेटा यसुफ अब लेां जीता है में जाऊंगा और अपने मरने से आगे उसे देखूगा । ४६ छियालिसवां पर्व । पर इसराएल ने अपना सब कुछ लेके याचा किई और बिअरसवः २। और ईश्वर ने रात को सप्न में इमराएल से बातें करके कहा कि हे यअकब यअकब और बुह बोला मैं यहां है तब उस ने कहा कि मैं ईश्वर तेरे पिता का ईश्वर हं मिस्र में जाते हुए मत डर क्योंकि में तुम वहां [A. B. S.] 13