पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/११२

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उत्पत्ति [४८ पञ्च के लिये और तुम्हारे और तुम्हारे घराने के और तुम्हारे बालकों के भोजन के लिये होंगे। २५। तब वे बोले कि आप ने हमारे प्राण बचाये हैं हम अपने प्रभु की दृष्टि में अनुग्रह पावें और हम फिरजन के दास होंगे ॥ २६ । और यसफ ने मिस्र देश के लिये अाज लो यह व्यवस्था बांधौ कि फिरऊन पांचवां भाग पावे परन्तु केवल याजकों की भूमि फिरऊन की न हुई॥ २७। और दूसराएल ने मिस की भूमि में जश्न के देश में निवास किया और वे वहां अधिकारी थे और वे बड़े और बहुत अधिक हुए ॥ २८। और यशक व मिस देश में सत्रह बरस जीया सा यअब के जीवन के बरसों के दिन एक सौ संतालीस हुए ॥ २६ । और दूसराएल के मरने का समय आ पहुंचा तब उस ने अपने बेटे यूसुफ को बुलाके कहा कि अब जो में ने तेरी दृष्टि में अनुग्रह पाया है अपना हाथ मेरी जांघ तले रख और दया और मचाई से मेरे संग व्यवहार कर मुझे मिस्र में मन गाड़िया। ३० । परन्तु मैं अपने पितरों में पड़ रहूंगा और तू मझे मिस्र से बाहर ले जाइयो और उन के समाधि स्थान में गाड़िया नब बुह वाला कि आप के कहने के समान मैं करूंगा। ३१। और उस ने कहा कि मेरे आगे किरिया खा और उन ने उस के अागे किरिया खाई और इसराएल खाट के सिरहाने पर झुक गया। ४८ अठतालीसवां पढ़। पर इन बातों के पीछे या हुत्रा कि किसी ने युसुफ से कहा कि देखिय आप का पिता रोगी है तब उस ने अपने दो बेटे मुनस्सी और इफरायम को अपने साथ लिया ॥ २। और यअकब को संदेश दिया गया कि देख तेरा बेटा यूसुफ तुझ पास अाता है और इमराएल खाट पर संभल बैठा ॥ ३। और यअकब ने यूसुफ से कहा कि सर्व सा. माँ ईश्वर ने कनान देश के लौज में मुझे दर्शन दिया और मुझे आशीष दिया। ४। और मुझे कहा कि देख मैं तुझे फलमान करूंगा और वढ़ाऊंगा और तुझ से बहुत सी जाति उत्पन्न करूंगा और तेरे पीछे इन देश को तेरे बंश के लिये सर्वदा का अधिकार करूंगा। ५ । और अव तेरे दो बेटे इफरायम और मुनक्षी जो मिस में मेरे नाने से आगे और