पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/११३

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को पुस्तक मुझे ४८ पचे तुझसे मित्र देश में उत्पन्न हुए हैं मेरे हैं रूबिन और समजन की नाई बे मेरे होंगे। और तेरा वंश जो उन के पीछे उत्पन्न होगा तेरा होगा और अपने अधिकार में वे अपने भाइयों के नाम पायेंगे। मैं जो हूं सो जब फद्दान से आया और इफरातः थोडी दूर रह गया था तब कनान देश के मार्ग में राखिन मेरे पास मर गई और मैं ने के मार्ग में उसे वहीं गाड़ा वही बैतलहम है। ८। तब इसराएल ने यमुफ के बेटों को देखके कहा ये कौन हैं। ६। यूसुफ ने अपने पिता से कहा कि ये मेरे बेटे हैं जिन्हें ईश्वर ने मुझे यहां दिया है बुह बोला उन्हें मुझ पास ला मैं उन्हें आशीष दूंगा। १० । [अब इमराएल की आंखें बुढ़ापे के मारे धुंधली हुई थीं कि बुह न देख सका] और वुह उन्हें उम के पास लाया और उस ने उन्हें चूमा और उन्हें गले लगाया ॥ ११ । और इसराएल ने यूसुफ से कहा कि मुझे तो तेरे मुंह देखने को आशा न यौ और देख ईश्वर ने तेरा वंश भी दिखाया । १२ । चौर युसुफ ने उन्हें अपने घुटनों में से निकाला और अपने को भूमि पर झुकाया ॥ १३। और यूसुफ ने उन दोनों को निया इफरायम को अपने दहिने हाथ में दूसराएल के बाएं हाथ की ओर चौर मुनस्मो को अपने बाएं हाथ में इसराएल के दाहिने हाथ की ओर और उस के पाम लाया ॥ १४ । तब इमराएल ने अपना दाहिना हाथ संवा किया और इफरायम के मिर पर जो छटका था रक्खा और अपना बायां हाथ मुनस्सी के सिर पर जान बूझके अपने हाथ को यो रकक्षा क्योंकि मुनस्मी पहिलोठा था। १५ । और उस ने यसुफ को बर दिया और कहा कि बुह ईश्वर जिस के आगे मेरे पिता अबिरहाम और इज हाक चलने थे और बुह ईश्वर जिस ने जीवन भर आज लो मेरी रख- बाली किई ॥ १.६ । वुह दूत जिस ने मुझे सारी बुराई से बचाया इन लड़कों को आशीष देवे और मेरा नाम और मेरे पिता अविरहाम और इजहाक का नाम उन पर होचे और उन्हें टविबी पर मछलियों की नाई, बढ़ावे ॥ १७। और जब यमुफ ने अपने पिता को अपना दाहिना हाथ इफरायम के सिर पर रखते देखा तो उसे बुरा लगा और उम ने अपने पिता का हाथ उठा लिया जिसमें उसे इफरायम के सिर पर से मुनरसी