पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/११४

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१०४ उत्पत्ति [४६ पर्व के सिर पर रखे ॥ १८। और यूसफ ने अपने पिता से कहा कि हे मेरे पिता ऐसा नहीं क्योंकि यह पहिलोठा है अपना दाहिना हाथ उस के सिर पर रखिये। २९। पर उस के पिता ने न माना और कहा कि में जानता हं हे बेटे मैं जानता हूं वह भी एक जातिगण बन जायगा और बुह भी बड़ा होगा परन्तु निश्चय उस का कुटका भाइ उस्से भी बड़ा होगा और उस के बंश भरपूर जातिगण बन जायेंगे। २० । और उस ने उन्हें उस दिन यह कहके आशीष दिया कि इसराएल तेरा नाम लेके यह आशीष देंगे कि ईश्वर तुझे इफ़रायम और मुनस्मी की नाई बनावे सो उस ने इफरायम को मुनस्सी से आगे किया ॥ २१। और इसराएल ने यूसुफ को कहा कि देख मैं मरता हूं परन्तु ईश्वर तुम्हारे माथ होगा और तुम्हें तुम्हारे पितरों के देश में फेर ले जायगा ॥ २२ । इससे अधिक मैं ने तुझो तरे भाइयों से एक भाग जो मैं ने अमूरियों के हाथ अपने तलवार और धनुष से निकाला अधिक दिया है। ४६ उंचासवां पर्व । पर यअकूब ने अपने बेटों को बुलाया और कहा कि एकट्टे हो जिसने जो तुम पर पिछले दिनों में बीतेगा मैं तुम से कहं ।। २। हे यअकूब के बेटो वटुर जायो र सुनो और अपने पिता इसराएल की और कान धरो। ३ । हे रूबिन तू मेरा पहिलोठा मेरा बूता और मेरे सामर्थ्य का प्रारंभ महिमा की उत्तमता और पराक्रम की उत्तमता ॥ ४। जल की नाई अस्थिर तू श्रेष्ठ न होगा इस कारण कि तू अपने पिता की खाट पर चढ़ा तब मेरे बिछौने पर चढ़के उसे किया ॥ ५ । समगन और लायौ भाई हैं अंधेर के हथियार उन के निवासों में हैं। ६ । हे मेरे प्राण तू उन के भेद में मत जा मेरी प्रतिष्ठा तू उन की सभा में मत मिल क्योंकि उन्हों ने अपने क्रोध से एक मनुष्य को पात किया है और अपनी ही इच्छा से नगर की भौन ढा दिई ॥ ७। डन की प्रचंडरिम के लिये और उन के क्रूर कोप के लिये धिक्कार मैं उन्हें अकब में अलग करूंगा और दूसराएल में छिन्न भिन्न करूंगा॥ ८। यहूदाह तेरे भाई तेरी स्तुति करेगे तेरा हाथ और