पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/११७

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८। और यसुफ का ५. पब्बे को पुस्तक । भरता हूँ तू मुझे मेरी समाधि में जा मैं ने कनवान देश में अपने लिये खेल्दी है गाड़ियों से मेरे पिता के माड़ने को मुझे छुट्टी दीजिये और मैं फिर आऊंगा॥ ६ । फिर जन ने कहा कि जा और तुझ से किरिया लेने के समान अपने पिता को गाड़॥ ७। सेो यसफ अपने पिता को गाड्ने गया और फिरजन के मारे सेवक और उस के घर के प्राचीन और भिन्न देश के सारे प्राचीन उस के संग गये । मारा घराना और उस के भाई और उस के पिता का घराना सब उम के संग गये उन्हों ने केवल अपने बालक और भुड और हार जश्न की भूमि में छोड़ दिये । और रथ और घोड़ चढ़े उस के साथ गये और वह एक अति बड़ी मंडली श्री। १० । और वे अनद के खलिहान पर जो यरदन पार है आये और वहां उन्हों ने अति बड़े बिलाम से विलाप किया और उस ने अपने पिता के लिये सात दिन ला शोक किया॥ ११ । जब देश के बासी कनानियों ने अनद के खलिहान का बिलाप देखा तो बोले कि यह मिस्त्रियों के लिये बड़ा बिलाप है सो इस लिये उम का नाम मिस्त्रियों का विलाप कहलाया और वह वरदन के पार है॥ १२। और जम की आज्ञा के समान उस के बेटी ने उस से किया॥ १३ । क्योंकि उस के बेटे उसे कनान देश में ले गये और उसे उस मकफौलः के खेत की कंदला में जिसे अबिरहाम ने समाधि स्थान के अधिकार के लिये दूफरून हिनी से ममरी के साम्ने मान लिया था गाड़ा। १४ । और यूसुफ आप और उस के भाई और सब जो उस के साथ उस के पिता को माड़ने गये थे उम के पिता को गाड़ के मिस्र को फिरे। ५.५ । और जव युसुफ के भाइयों ने देखा कि हमारा पिता मर गया तो उन्हों ने कहा क्या जाने युसुफ हम से बैर करेगा और सारी बुराई का जो हम ने उस से किई है निश्चय पलटा लेगा। २६ । तब उन्हों ने यूमफ को यों कहना भेजा श्राप के पिता ने मरने से पहिले अाझा किई॥ १७। कि यूसुफ से कहिया कि अपने भाइयों के पाप और उन के अपराध क्षमा कर क्योंकि उन्हों ने तुझ से बुराई किई सेा अब अपने पिता के ईश्वर के दामों के पक्षमा कौजिये और जब उन्होंने यह ॥