पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/११९

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यात्रा को पुस्तक मूसा रचित। पहिला पर्च। २। रुविन ४ । भर गया। कान -ब इमराएल के संतानों के नाम ये हैं हर एक जो अपने घराने को लेके यअकब के साथ मिस्त्र में आया । समजन लावी यहूदाह । ३। इशकार जबुलून बिनयमीन ॥ दान और नफनाली जद और यसर । ५। और समस्त प्राणी जो यअकब की जांच से उत्पन्न हुए सत्तर थे और यमुफ नो मिस में था॥ ६ । और यूसुफ और उस के सारे भाई और बुद्द समस्त पीढ़ी मर गई, ॥ ७। परंतु इसराएन के संतान फलमान हुए और बहुताई से अधिक हुए और बढ़ गये और अत्यंत सामर्थी हुए और देश उन से ८। तब मिस में एक नया राजा उठा जो यूसुफ जानता था॥ ६ । और उस ने अपने लोगों से कहा कि देखो इसराएत के संतानों के लोग हम से अधिक और बलवंत हैं। १.। अायो हम उन से चतुराई से व्यवहार करें न हो कि वे बढ़ जायें और ऐसा हाय कि जब यड्ड पड़े तो वे हमारे बैरियों से मिल जायें और हम से लड़े और देश से निकल जायें ॥ ११ । इस लिये उन्हों ने उन पर करोड़ों को बैठाया कि उन्हें अपने बाझो से सनाव और उन्हों ने फिरऊन के लिये भंडार नगरों को अर्थात् पितोम और रामसोस को बनाया ॥ १२ । परंतु ज्यों ज्यों वे उन्हें दुख देते थे त्यो त्यो वे बढ़ते गये और बहुत हुए और वे इसराएल के संतान के कारण से दुखी थे ॥ १३ । और इसराएन के संतानों से मिस्त्रियों ने क्लेश से सेवा कराई। १४ और उन्होंने