पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१२२

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यत्रा बुह कहां होके उन को सहाय किई और उन को झंड का पिलाया। १८ । और जब वे अपने पिता रकएल पास आई उस ने पक्का कि आज तुम क्योकर मवेरे फिरौं ॥ १८ । वे बोली कि एक मिस्त्री ने हमें गड़रियां के हाथ से बचाया और हमारे लिये जितना प्रयोजन या पानी भरा और झंड को पिलाया। २० । तब उस ने अपनी पबियों से कहा कि है उस मनुष्य को क्यों छोड़ा उसे बुलायो कि रोटी खावे ॥ २१ । तव मूसा उस जन के घर में रहने पर प्रसन्न हुन्ना और उस ने अपनी बेटी सफरः मूमा को दिई॥ २२ । वुह पुत्र जनी उस ने उस का नाम गैरसुम रकवा क्योंकि उस ने कहा कि मैं परदेश में परदेशी हं॥ २३ । और कितने दिन के पीछे मित्र का राजा मर गया और इसराएल के बंश सेवा के कारण आह भरने लगे और रोये और उन का रोना जो उन की सेवा के कारण से घा ईश्वर ले पहुंचा। २४। ईश्वर ने उन का कहरना सुना और ईश्वर ने अपनी बाचा को जो अविरहाम और इज़हाक और यअकूब के साथ किई थी स्मरण किया। के । २५ । और ईश्वर ने इसराएल के संतान पर दृष्टि किई और उन की दशा को का जो ३ तीसरा पर्छ। र मूमा अपने ससुर यिनरू की जो मदियान का याजक था मुंड को चराता था नब बुद्द मुंड को बन की पलो र ले गया और ईश्वर के पहाड़ होरेब के पास आया ॥ २। तब परमेश्वर का दूत एक झाडौ के मध्य भाग को लौर में उस पर प्रगट हुआ और ने दृष्टि किई तो क्या देखता है कि झाड़ी आग से जलती है और झाड़ी भस्म नहीं होती । ३। तब मूमा ने कहा कि मैं अब एक अलंग फिरूंगा और यह महा दर्शन देखूगा कि यह भाड़ी क्यों नहीं जल ४ । जब परमेश्वर ने देखा कि बुह देखने को एक अलंग फिरा तो ईश्वर ने झाड़ी के मध्य में से उसे पुकार के कहा कि हे मूसा हे मूसा तब वह बोला में यहां हं।। ५ । तव उस ने कहा कि इधर पाम मत श्रा अपने पाओं से जूता उतार क्येांकि यह स्थान जिम पर तू खड़ा है उस जाती।