पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१२७

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को पुस्तक । जो और हारून । ५ पांचवा पर्व पर उस के पीक मूसा ने जाके फिर जन से कहा कि परमेश्वर इसराएल का ईश्वर या कहता है कि मेरे लोगों को जाने कि वे अरण्य में मेरे लिये पर्व करें। २। तब फिरजन ने कहा कि परमेश्वर कौन है कि मैं उस के शब्द को मानके दूसराएल को जाने हूँ मैं परमेश्वर को नहीं जानता और मैं इसराएल को जाने न दूंगा। ३। तब उन्होंने कहा कि दूबरानियां के ईश्वर ने हम से भेंट किई है हमें छुट्टी दौजिये कि हम तीन दिन के पथ अरण्य में जायें और परमेश्वर अपने ईश्वर के लिये बलिदान करें ऐसा न हो कि बुह हमें मरी अथवा खड्न से मारे ४। तब मिस्र के राजा ने उन्हें कहा कि हे मूसा और हारून तुम लोगों को उन के कार्य से क्यों रोकते है। भुम अपने बेझों को जा॥ ५। और फिरजन ने कहा कि देखो देश के लोग अब बहुत हैं और तुम उन्हें उन के बाझों से रे।कते हो | ६। और उसी दिन फिरजन ने लोगों के करोड़ों को और अपने अध्यक्षों को आज्ञा किई। ७। कि अब आगे की माई उन लोगों को ईंट बनाने के लिये पुअाल मत दओ वे जाके अपने लिये पुत्राल बटोरे। ८। और आगे की नाई, ईटें उन से लिया करो उस में से कुछ मत घटायो वे आलसी हैं इनी लिय वे रो रोके कहते हैं हमें जाने दओ कि हम अपने ईश्वर के लिये बलिदान चढ़ावे । । उन मनुष्यों का काम बढ़ाया जाय कि वे उस में परिश्रम कर और वृथा बातों को चोर मन न लगावें ॥ १.। तब लोगों के करोड़े और उन के अध्यक्ष निकले और लोगों से यों कहा कि फिरजन कहता है कि मैं तुम्ह पुत्राल न दूंगा ॥ २१ ॥ सुम जाओ और जहां मिले तहां से पुवाल लाओ तथापि तुम्हारा कार्य न घट ॥ १२ । से लोग मिस्र के सारे देश में छिन्न भिन्न हुए कि पुवाल की संती खूटी एकट्ठी करें ॥ १३ । और करोड़ों ने शीघ्रता करके कहा 1 क जैसा पुत्राल पाते हुए करते थे वैसा अपने प्रतिदिन के कार्य उसी दिन देओ। १४ । और इसराएल के संतानों के प्रधान जिन्हें फिरकन के करोड़ों ने उन पर करोड़े किये थे मारे गये और पूछे गये कि अपनी