पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१२८

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यात्रा [६ पञ्च ठहराई हुई सेवा को जो ईट बनाने की है कल और याज आगे की नाई क्यां नहीं पूरा किया ॥ १५ । नब इसराएल के संतान के प्रधान फिर- जन के आगे आके चिलाये और कहा कि अपने दासों से ऐसा व्यवहार क्यों करता है। १६ तेरे दासों को पाल नहीं मिला है और वे हमें कहते हैं कि ईट बनाओ और देख कि तेरे सेवकों ने मार खाई है परंतु अपराध तेरे लोगों का है ॥ ९७। उस ने कहा कि तुम आलसी हो अालसी हो इस लिये तुम कहते हो कि हमें जाने दे कि परमेश्वर के लिये बलिदान करें ॥ १८। सेो अब तुम जाओ काम करो पुत्राल तुम को न दिया जायगा तयापि तन गिनती की ईटें देगे॥ १८ । इस कहने से कि तुम अपनी प्रतिदिन की ईंटों में से न घटाओगे दूसराएल के संतान के प्रधानों ने देखा कि उन की दुर्दशा है। २० । और वे फिर जन पास से निकल के मूमा और हास्न को जो मार्ग में खड़े ये मिले ॥ २९ ॥ और उन्द कहा कि परमेश्वर तुम्हें देखे और न्याय करे इस लिये कि तुम ने हमें फिरजग की और उस के सेवकों की दृष्टि में एसा चिनांना किया है कि हमारे मारने के कारण उन के हाथ में खड्ग दिया है । खड्ग दिया है। २२ । तब मूमा परमेश्वर पाम फिर गया चार कहा कि हे प्रभु तू ने उन लोगों को क्यां क्लेश में डाला और मुझे क्यों भेजा ॥ २३ । इस लिये कि जब से तेरे नाम से मैं फिरऊन का कहने आया उस ने उन लोगों पर वराई किई और तू ने अपने लोगों को न बचाया। ६ कुठयां पद ब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि अब तू देखेगा मैं फिरऊन से क्या से भुजा से उन्हें अपने देश से निकालेगा॥ २। और ईश्वर मूसा से कह के बोला कि मैं परमेश्वर हूं। ३ । और मैं अविरहाम और इजहाक और यअकब को सर्वशक्तिमान ईश्वर करके दिखाई दिया परंतु मेरा नाम यहोवा ४। और मैं ने उन के साथ अपना नियम भी बांधा है कि मैं उन को कनान का दश जो उन के प्रवास का देश है जिम में वे परदेशी थेढुंगा॥ ५। और मैं ने इसराएल के मतानों का उन पर प्रगर न जत्रा।