पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१३१

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७ प] की परतक। और दूसराएल के संतानों को उन में से निकालंगा तब मिली जानेगे कि मैं परमेश्वर हं। ६। जैमा परमेश्वर ने उन्हें कहा ममा और हारून ने बसाही किया। ७। और जिस समय में उन दोनों ने फिरजन से बात चीत किई मूसा अम्मी बरस का और हारून निरामी बरस का था। ८। और परमेश्वर ने मसा और हारून से कहा ॥ । कि जब फिरऊन तुम्हें कहे कि अपने लिये अाश्चर्य दिखाओ तो हारून को कहियो कि अपनी छड़ी ले और फिरजन के आगे डाल दे बुह एक सर्प बन जायेगी। १० । तव मूसा और हारून फिरजन कने गये और जैसा परमेश्वर ने उन्हें प्राज्ञा किई थी उन्हेां ने वैसा ही किया हारून ने अपनी छडी फिरजन के और उस के सेवकों के आगे डाल दिई और वह सर्प हो गई॥ ११॥ तब फिरऊन ने भी पण्डितों और टोन्हों को बुलघाया से मिस्र के न्हिों ने भी टोना से ऐमा ही क्रिया ॥ १२ । क्योंकि उन में से हर एक ने अपनी अपनी छड़ी डाल दिई और वे सप्प हो गई परंतु हारून को बड़ी उन को छड़ियों को निगल गई ॥ १३ । और फिरजन का मन कठोर रहा जैसा परमेश्वर ने कहा था उस ने उन की न सुनौ॥ १४ । तब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि फिरजन का अंतः करण कठार है वुह उन लेागों का जाने नहीं देता॥ १५ । अब त बिहान फिरजन के पास जा देख कि बुह जल की ओर जाता है तू नदी के तट पर जिधर से वुह आवे उस के सन्मुख खड़ा हजियो और वह छड़ी जो सर्प हुई थी अपने हाथ में लीजियो। १६ । और उसे काहयो कि परमेश्वर इबरानियों के ईश्वर ने मुझे तेरे पाम भेजा है और कहा है कि मेरे लोगों को जाने दे जिसते वे अरण्य में मेरी सेवा कर और देख कि नू ने अब लो न सुना ॥ १७॥ परमेश्वर ने यों अाज्ञा किई कि इरमे त जानेगा कि मैं परमेश्वर हं देख कि मैं यह छड़ी जो मेरे हाथ में है नदी के पानियों पर मारूंगा चार वे लोह हो जायगे।। १८ । और मछलिया जो नदी में हैं मर जायगी और नदी वसाने लगेगी और मिस्र के लोग नदी का पानी पीने को बिन करगे। १८ । फिर परमेश्वर ने मसा से कहा कि हारून से कह कि अपनी छड़ो ले और अपना हाथ मिस्र के पानियों पर और उन की धारा और उन की नदियों और उन के कुपड़ा [ [A. B. S.? 16