पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१३३

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प] की पुस्तक। १२३ बुलाया और कहा कि परमेश्वर से बिनती करो कि मेंड़कों को मुझ से और मेरी प्रजा से दूर करे और मैं उन लोगों को जाने देऊंगा कि वे परमेश्वर के लिये बलिदान चढ़ावें ॥ । और मूमा ने फिरजन को कहा कि तुझे मुझ पर यह महत्व हो मैं तेरे और तेरे सेवकों के और तेरी प्रजा के लिये प्रार्थना करूं कि मेंडुक तुझ से और नेरे घरों से किये जाये और नदीही में रहें ॥ १० । बुह बेला कि कल तब उस ने कहा कि तेरे बचन के अनुसार जिसने 'तू जाने कि परमेार हमारे ईश्वर के तुल्य कोई नहीं। ११ । और में डुक तुझ से और तेरे घरों से और तेरे दासों और तेरी प्रजा से जाते रहेंगे वे केवल नदी में रहेंगे। १२। फिर मूसा और हारून फिरजन पास से निकल गये और मूसा ने परमेश्वर के आगे में डको के लिये जो उम ने फिरजन के कारण भेजे थे प्रार्थना किई ॥ १.३ । और परमेश्वर ने मसा की प्रार्थना के अनुसार किया और मेंडक घरों और गांगों और खेतों में से मर गये ॥ १४ । और उन्हों ने उन्हें जहां तहां एकट्टे कर कर ढेर कर दिये और देश बसाने लगा। १५ । परंतु जब फिरजन ने देखा कि साधकाश मिला तो उस ने अपना मन कठोर किया और जैसा परमेश्वर ने कहा था वैसा उन की न सुनी। १६। तब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि हारून से कह कि अपनी छड़ी बढ़ा और देश की धल पर मार जिमतें बुह मिस्त्र के समस्त देश में जुई बन जायें॥ १७। उन्हों ने वैसा ही किया क्योंकि हारून ने अपना हाथ कड़ी के साथ बढ़ाया और प्रथिवी को धूल को मारा और वहीं मनुष्य पर और पशु पर जुई बन गई समस्त धूल मिस्र के सारे देश में जुई बन गई। १८। और टोन्हों ने भी चाहा कि अपने दोनों से जुई निकालें पर निकाल न सके सो मनुष्य पर और पशु पर जुई थीं। १६ । तब टान्हां ने फिरजन से कहा कि यह ईशर की अंगुली है और फिरजन का मन कठोर रहा और जैसा परमेश्वर ने कहा था उस ने उन की न मुनी। २० । तब परमेश्वर ने मूसा कहा कि विहान को उठ और फिरजन के आगे खड़ा हो देख बुह जन पर आना है न उसे कह कि परमेश्वर यां कहता है कि मेरे लोगों को जाने दे कि वे मेरी सेवा करें २१ । नहीं तो यदि तू मेरे लोग को जाने न देगा तो 11