पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१३९

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a को पुस्तक । अपराधी हं॥ १७॥ से अब में तुम्हारी विनती करता हूं केवल इस बार मेरा अपराध क्षमा करो और परमेश्वर अपने ईश्वर से बिनती करो कि केवल इसी मरौ को मुझ से दूर करे॥ १८। सेर बुह फिरजन के पास से निकल गया और परमेार से बिनती किई ॥ १६ । और पर- मेश्वर ने बड़ी पछयां भेजो जा टिड्डो को ले गई और उन्हें लाल समुद्र में डाल दिया और मिस्र के नमस्तु सिवानों में एक टिड्डी न रही। २. परंतु परमेश्वर ने फिरजन के मन को कठोर कर दिया और उस ने दूसराएल के संतान को जाने न दिया। २१। फिर परमेश्वर ने मूसा से कहा कि अपना हाथ वर्ग को और बढ़ा जिमतं मिस्र के देश पर अंधकार छा जाय ऐसा अंधकार जो टटोला जावे ॥ २२। नव मूसा ने अपना हाथ वर्ग को और बढ़ाया और तीन दिन लो मारे मिस्र के दश में गाढ़ा अंधियारा रहा ॥ २३ । उन्हों ने एक दूसरे को न देखा कोई तीन दिन भर के अपने स्थान से न उठा परत सारे इसराएल के संतान के निवासों में उजियाला था॥ २४। तब फिरजन ने मुसा और कहा कि जाओ परमेश्वर की सेवा करो केवल तुम्हारे झुंड और तुम्हारे बैत यहीं रहें तुम्हारे बालक भी तुम्हारे संग जायें ॥ २५ । भूसा ने कहा कि तुझे अवश्यक है कि हमें बलिदान और होम की भट देवे जिसने हम परमेश्वर अपने ईश्वर के आगे बलि चढ़ावें ॥ २६। हमारे पशु भी हमारे संग जायेगे एक खुर छोड़ा न जायगा क्योंकि हमें अवश्यक है कि उन में से परमेश्वर अपने ईश्वर की सेवा के लिये लेवें और जब ला उधर न जावें हम नहीं जानते कि कौनसो वसुन से परमेश्वर की सेवा करें॥ २७। परंतु परमेश्वर ने फिरजन के अंत:करण को कठार कर दिया और उस ने उन्हें जाने न दिया ॥ २८। और फिरजन ने उसे कहा कि मेरे धागे से दूर हो आप को चौकम रख और फिर मेरा मह मत देख क्यांक जिस दिन मेरा मुह देखेगा तू मर जायगा । २९ । तब मूसा ने कहा कि तू ने अच्छा कहा मैं फिर तेरा मुह न देखंगा। को बुलाया 17 [A. B. 5.]