पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१४३

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१२ पब ममा की पुस्तक । अब उस ने गिस्त्रियों को मारा और हमारे घरों को बचाया तव लोगों ने सिर झुकाये और प्रणाम किये ॥ २८। और इसराएल के संतान चले गये जैसा कि परमेश्वर ने मूसा और हारून का आज्ञा किई थी रन्दों ने वैसाही किया ॥ २६ । और या हुआ कि परमेश्वर ने आधी रात को मिस्र के देश में सारे पहिलोंठे को फिरऊन के पहिलौटे से ले के जो अपने सिंहासन पर बैठता था उस बंधुश्रा के पहिलोंठे लो जो बंदीगृह में था पशुन के पहिलाठी समेत नाश किये ॥ ३० । और रात को फिरजन उठा चुह और उस के मब सेवक और सारे मिस्सी उठे और मिस में बड़ा बिलाप था क्योंकि कोई घर न रहा जिस में एक न मरा॥ ३१ । तब उस ने गर हारून को रात ही को बुलाया और कहा कि उठो मेरे लोगों में से से निकल जायो तुम और इसराएल के संतान जाना और अपने करके समान परमेश्वर की सेवा करो। ३२ । जैसा तुम ने कहा है अपना भंड और बैल भी लेग्रो औरर बिदा होचो और मेरे लिये भी आशीष चाहो ॥ ३३ और मिसी उन लोगों पर शीघता करते थे कि वे मिस्र के देश से बेग निकाले जाय क्योंकि उन्होंने कहा कि हम सब मरे ॥ ३४ । और उन लोगों ने आटा गूंधा हुअा उम से अागे कि बुह खमौर है। गूधने के कठरे समेत कपड़ों में बांध के अपने कांधों पर उठा लिया । ३५ । और इसराएन के संतानों ने मूसा के कहने के ममान किया और उन्हों ने मिस्सियों से रूपे के और सोने के गहने और बस्त्र मांग लिये ॥ ३६ । और परमेश्वर ने उन लोगों को मिखियां की दृष्टि में ऐसा अनग्रह दिया कि उन्हें ने उन्हें दिया और उन्हों ने मिलियर को ३७। और दूसराएल के संतान रामसीस से सुक्कान को पांव पांव चल निकले जो बालकों को छोड़ कः लाख पुरुष थे ॥ ३८। और एक मिली जुली मंडली भी और मुड और बैल और बहुत पशु उन के माथ गये । और उन्हों ने उस गूंधे हुए आटे के जो वे मिस्त्र से ले निकले थे फुलके पकाये क्योंकि वुह खमीर न हुअा था इस कारण कि वे मिस से खदेडे गये थे और ठहर न सके और अपने लिये कुछ भाजन मिहन किया। लिया।