पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१४७

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१४ पर्च की पुस्तक । और उन सभों पर प्रधान बैठाये ।। ८। और परमेश्वर ने मिस के राजा फिरजन के मन को कठोर कर दिया और उम ने इमराएल के संतानों का पीछा किया परंतु इसराएल के संतान हाथ बढ़ाये हुए निकले ॥ । परनु मिस्त्री उन का पौका किये चले गये और फिरजन के सारे घोड़ों और रथों और उस के पाड़ चढ़े और उस को सेना ने समुद्र के तौर फौउलहीरात के समीप बअलसफ़न के सन्मुख उन्हें छावनी खड़ी करते जाही लिया । १० । और जब फिरऊन पास आया इसराएल के संतानों ने अांख ऊपर किई और मिसियों को अपने पीछ श्राते हुए देखा और अन्य न डर गये तब इसराएल के मंतानों ने परमेश्वर को दोहाई दिई॥ १।। और मूसा से कहा कि क्या मिस्त्र में समाध न थी कि तू हमें मरने के लिये वहां से बन में लाया तू ने हम से यह क्या व्यवहार किया कि हमें मिस से निकाल लाया। १२। क्या यह वही बात नहीं जो हम ने मिस में तझ से कही थी कि हम से हाथ उठा जिसने हम मिसियों की सेवा कर कि हमारे लिये मिस्त्रियों को सेवा करनी वन में मरने से अच्छी थी॥ १३ । तब मूसा ने लोगों को कहा कि मत डरो खड़े रहो और परमेश्वर की मोक्ष देखा जो आज के दिन बुह तुम्हें दिखावेगा क्योंकि उन मिस्त्रियों को जिन्हें तुम आज देखते हो उन्हें फिर कधी न देखागे । १४ ! परमेश्वर तुम्हारे लिये युद्ध करेगा और तुम चुप चाप रहोगे ॥ १५ । नय परमेश्वर ने मूशा से कहा कि तू क्या मेरी और विलाप करता है इसराएल के समान से कह कि वे आगे बढ़े ॥ २.६ । परंतु तू अपनी छड़ी उठा और समुद्र पर अपना हाथ बढ़ा और उसे दो भाग कर और दूसराएल के संतान समुद्र के बीचबीच में से सूखौ भूमि पर होके चले जायगे ॥ १.७१ और देख कि मैं मिसियों के अंतःकरण को कटोर कर दूंगा और वे उन का पीछा करेंगे और मैं फिरजन और उस को सेना और उस के रथ और उस के घोड़ चढ़ों पर अपनी महिमा प्रगट करूंगा ॥ २८1 और जब मैं फिरजन और उस के रथां और उम के बेड़ चड़ों पर अपनी महिमा प्रगट करूगा तब मिली जानेंगे कि मैं परमेश्वर हं॥ १८ । और ईश्वर का दूत जो इमराएल की कावनी के अागे चला जाता था से फिरा और [B. B. S.] 18