पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१५८

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१४८ यात्रा ५३ । कोई हाथ उसे न छूये नहीं तो बुह निश्चय पन्यरवाह किया जायगा अथवा बाण से मारा जायगा चाहे मनुष्य हो चाहे पशु जीना न बचेगा जब तुरही शब्द अबर करे तो पहाड़ पर चढ़ ॥ १४ । तब मूसा ने पहाड़ पर से उतर के लोगों को पवित्र किया उन्हों ने अपने कपड़े धाये। और उस ने लोगों से कहा कि तीसरे दिन मिल रहा स्त्रियों से अनग रहियो । १६ । और यो हुआ कि नीमरे दिन बिहान को मेघ गर्जने लग और बिजलियां चमकी और पहाड़ पर काली घटा उमड़ी और नुरही का अति बड़ा शब्द हुआ यहां लो कि सब लोग क्वावनी में यर्थरा उठे ॥ १.७। और ममा लोगों को तंबू के भीतर से बाहर लाया कि ईश्वर से भंट करावे और वे पहाड़ की नौचाई में जा खड़े हुए। और मोना का पहाड़ घओ से भर गया क्योंकि परमेश्रर लौर में होके उन पर उतरा और भेट्टी का सा धूां उम पर से उठा और सारा पहाड़ अनि कांप गया॥ १९। और जब तुरही का शब्द बढ़ता जाता था तब मूसा ने कहा और ईश्वर ने उसे शब्द से उत्तर दिया। और परमेश्वर मौना पहाड़ पर उतरा पहाड़ की चोटी पर और परमेश्वर ने पहाड़ की चोटी पर नूमा को बुलाया और मूसा चढ़ गया ॥ २१ ॥ तब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि उतर जा और लोगों को चिता ऐसा न हो कि चे मेड़ नोड़ के परमेश्वर को देखने प्राव और बहुतेरे उन में नाश हो जावें ॥ २२ । और याजक भी जो परमेश्वर के पास आये हैं अपने को पवित्र करें कहीं ऐसा न हो कि परमेश्वर उन पर चपेट करे॥ २३ । तब ममा ने परमेश्वर से कहा कि लोग मौना पहाड़ पर श्रा नहौं मक्त क्योंकि तू ने नो हमें चिता दिया है कि पहाड़ के आस पास बाडा बांध और उसे पवित्र करें। २४ । तब परमेश्वर ने उसे कहा कि चल नीचे जा और तू हारून समेत फिर ऊपर आ परंतु याजक और लोग मेड़ तोड़ के परमेश्वर पाम ऊपर न आयें न होवे कि वह उन पर चपेट करे। २५ । सेो मुसा लेागों के पास नीचे उतरा और उन से कहा। २०॥