पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१५९

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२० पब्ब] को पुस्तका २० बीसवां पई । फर ईश्वर ने ये सब बात कहीं। २। कि तेरा परमेश्वर ईश्वर जो तुझे मिस्र की भूमि से और बंधुआई. के घर से निकाल लाया मैं हं। मेरे सन्मुख तेरे लिये दूसरा ईश्वर न होगा। ४। अपने लिये खाद के किसी की मूर्ति और किसी वस्तु की प्रतिमा जो ऊपर खर्ग में अथवा नीचे पृथिवी में अथवा जल में जा पृथिवी के नोचे है मत बनाइयो। ५ । न उन को प्रणाम मत कौजिया न उन को सेवा कोजियो इस लिये कि में परमेश्वर नेरा ईश्वर ज्वलित ईश्वर हं पितरों के अपराध का दंड उन के पुत्रों को जा मेरा बैर रखते हैं उन की तोमरी और चौथौ पौढ़ी लेो देवया हं॥ ६ । और उन में से सहसा पर जो मुझे प्रेम करते हैं और मेरौ अाज्ञायों को पालन करते हैं दया करता हूं। ७. परमेश्वर अपने ईश्वर का नाम अकारथ मत लीजियो कयोकि परमेश्वर उसे जो उस का नाम अकारथ लेता है निप्याप न ठहरावेगा। ८। बिश्राम के दिन को पवित्र रखने के लिये स्मरण कीजियो॥ दिन लो अपने ममन्त कार्य कौजियो । १०। परंतु सातवां दिन तेरे परमेश्वर ईश्वर का है उस में कोई कुछ कार्य न करे न तू न तेरा पुत्र न तेरी पुत्री न तेरा दास न तेरी दामी न तेरे पशु = तेरा पाहुन जो तेरे फाटक के भौतर है। ११। इन लिये कि परमेश्वर ने छःदिन में ख और पृयित्री और ममुद्र और सब कुछ जो उन में है बनाया और सातवें दिन बियाम किया इम कारण परमेार ने बियाम दिन को श्राशीसमय और पवित्र ठहराया ॥ १२। अपने माता पिता को प्रतिष्ठा दे जिसने तेरी बय जिसे तेरा परमेश्वर ईश्वर तुझे पृथिवी पर देता है अधिक होवे ॥ १३। हत्या मत कर ॥ १४ । परस्त्री गमग मत कर॥ १५। चोरी मत कर ॥ १६ । अपने परोमो पर झठी माक्षी मत दे ॥१७। अपने परोमी के घर का लालच मत कर अपने परोसी को स्त्री और उस के दास और उस की दानी और उस के बैल और उस के गहे और किमी बस्त काजो तेरे परोमो की है लालच मत कर ॥ १.८। और सब लोगों ने