पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१६०

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याबा [२१ पच्च पाप गर्जना और विजनी का चमकना और तुरही का शब्द और पवैन से घका उठना देखा सब लोगों ने जब यह देखा तो हटे और दूर जा खड़े रहे ॥ १६ । तब उन्हों ने मूसा से कहा कि तूही हम से बोल और हम सन परत ईश्वर हम से न बोले न हो कि हम मर जायें ॥ २० । तब मूमा ने लोगों से कहा कि भय मत करो दूम लिये कि ईअर आया है कि तुम्हें परखे और जिसने उस का भय तुम्हारे मन्मुख मगर होय जिसने तुम न करो॥ २१ । तब लोग दूर खड़े रहे और मूमा उस गाढ़े अंधकार के ममीप गया जहां ईश्वर था ॥ २२ । और परगेश्वर ने मूमर से कहा कि तू इसराएल के संतान से यों कह कि तम ने देखा मैं ने खर्ग से बातें किई॥ २३। तुम मेरे सन्मुख चांदी का ईश्वर धौर सेाने का ईश्वर मत बनाइयो । २४ । तू मेरे लिये मट्टी की यज्ञवेदी बना और उस पर अपने होम की भेंट चढ़ा और कुशल की भेंट और बन्निदान अपनी भेड़ों और अपने बैलां से और जिस स्थान में अपना नाम प्रगट करूंगा वहां मैं तक पास आऊंगा और तुझे त्राशीघ ढूंगा ॥ २५ । और यदि तू मेरे लिये पत्थर की यज्ञबेदी बनावे जो गढ़े हुए पत्थर से मत वना क्योकि यदि तू उस पर हथियार उठावे तो उसे अपवित्र करेगा॥ २६ ॥ और न मेरी यज्ञबेदी पर सौदी से मन चढ़ जिसने तेरा नंगापन उस पर प्रगट न होवे॥ २१ एकीसवां पर्छ । व विचार जिन्हें तू उन के आगे धरे ये हैं ॥ २॥ कि यदि तू इब्री ग्रा । दास को मोल लेवे तो बुह छ: बरस सेवा करे और सातवें में संत से छोड़ दिया जायगा॥ ३। यदि वुह अकेला अाया तो अकेला जायगा यदि वुह बिघाहित था तो उस को पत्नी उस के साथ निकल जायगो ॥ ४ । यदि उस के खामी ने उसे पत्नी दोई है और उस को पनी उचो बेटे और बेरियां जनी तो उस की पत्नी और उस के बालक उस के खामी के हांग अकेला चला जायगा ॥ ५। और यदि बुह दास खोल के कहे कि मैं अपने खामी और अपनी पत्नी को और अपने बालक को प्यार करता हूं मैं निधन हूंगा।६। तो उस का खामी उसे न्यायियों के