पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१६२

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यात्रा [२१ पर्ब पात हो जाय परंतु वुह आप न भरे नो जिम रीति का दंड उस का पति कहे दिया जाये और न्यायियों के विचार के समान उसे डांड़ देवे ॥ २३ । और यदि उसे कुछ हानि होने तो तू प्राण की सती माण दे ॥ २४ ॥ अांख की सती अांख दांत की तो दाग हाथ को संतो हाथ पांव की संतो पांव, २५ । जलाने की संनौ जलाना घाव को संनी धाव चाट की संती चाट ॥ २६ । और यदि कोई अपने दास अथवा अपनी दासी को अांख में मारे कि उस की आंख फूट आय तो उस की संती में उसे छोड़ देये ॥ २७। और यदि वह अपने दास का अथवा अपनी दामी का दान तोड़े तो दांत को संती उसे छोड़ देवे। २८ ! यदि मनुष्य को अथवा स्त्री को बैल सौंग मारे ऐसा कि बुह मर जाय तो बुह बैल पन्धरवाह किया जाय और उस का मांस ख या न जावे परंतु बैन का खामी निर्दोष है ॥ २९ । परंतु यदि बुह बैल धागे से सौंग मारने की बान रखता था और उस के खामी को संदेश दिया गया और उस ने उसे बांध न रकहा परंतु उम ने पुरुष अथवा स्त्री को मार डाला तो वैन पन्थरवाह किया जाय चौर उस का खामी भी घात किया जाय॥ ३० । और यदि उस पर डांड़ ठहराया जाय तो अपने प्राण के प्रायश्चित्त के लिये जो उस के लिये ठहराया गया हो वुह दवे॥ ३१ । चाहे उस ने मौंग से पुत्र को मारा हो अथवा पुत्री को इसी आज्ञा के समान उस के लिये विचार किया जावे ॥ ३२ । यदि किसी के दाम अथवा दासी को बैल सौंग मार बैठ तो वुह उस के खामी को तीस शैकल रूपा देवे और बैल पत्थरचार किया जाय ॥ ३३ । और यदि कोई गड़हा खोले अथवा खोदे और उम् का मह न ढापे और बैल अथवा गधा उस में गिरे॥ ३४। तो उस गड़हे का खामी उसे भर देवे और उन के खामी को दाम हे और लोय उसी को होगी॥ ३५। और यदि किमी का बैल दूसरे के वैल को सतावे ऐमा कि वुह मर जाय तो वह जीते बैल को उन्च और टम के दाम को बाघो आध बापुस में बांट लेवें और वह मरा हुआ भी उन में आधा आध बांटा जाय । ३६ । और यदि जाना जाय कि उस बैल को मौंग भार बैठने की बान थी और उस के हामी ने उसे बांध न रकदा तो वुह निश्चय बैल की संती बैल देवे