पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१६४

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यात्रा [२२ पब्बे तो वुह उस के खामो को भर दे ॥ १२। यदि वुह फाड़ा जाय तो बुह उसे माही के लिये लावे और भर न दगा। २३ । यदि कोई मनुष्य अपने परोसी से कुछ भाड़ा लेवे और बुह अंग भंग हो जाय अथवा मर जाय यदि खामी उस के माथ न था तो बुह निमय उसे भर देगा। १४। पर यदि उस का खामी उन के साथ था तो बुह भर न देगा यदि भाड़े का होय तो उस के भाड़े के लिये जायगा। १५ । यदि कोई किसी कन्या को फसलाबे जिस की बचनदत्त न हुई और उस के संग शयन करे बुर अवश्य उसे दैजा देके पत्नी करे ॥ १६ । यदि उस का पिता उस के देने में सर्दया नाह करे तो बुद्द कुआरियों के दान के समान उसे दैजा देगा ॥ १७ ! त टोनहिन को जीने मत दे ॥ १८। जो काई, पशु १८। जो कोई, पश से रन करे निश्चय छान किया जायगा। १६ । जो कोई परमेश्वर को कोई निमो देवता को बलिदान देगा बुह निश्चय नाश किया जायगा । २० । परदेशी का मत खिजा और उसे मत सत्ता इस लिये कि कुम मित्र के देश में परदेशी थे॥ २१॥ किसौ बिधबा को अथवा अनाथ लड़के को दुःख मत देया। २२ । यदि तू उसे किसी रौति से दुःख दवे और बुह मेरी दोहाई देने तो मैं निश्चय उन का रोना सुनंगा ॥ २३ । और मेरा क्रोध भड़केगा मैं तुम्हें खड्ग से मारूंगा और तुम्हारी पनियां विधवा और तुम्हारे नान अनाथ हेर जाये गे॥ २४ । यदि तू मेरे लोग में के कंगाल के कुछ ऋण देवे नो उम पर ब्याज ग्राहक के समान मत हो और उसमे ब्याज मत ले २५ । यदि तू अपने परोमी का बस्त्र बंधक रकले तो चाहिये कि त् सूर्य अस होते हुए उसे पहुंचा दे ॥ २६ । क्योंकि उभ का केवल यही गोदना है यह उस के देह का बस्त्र है जिसमें सो रहता है और यों होगा कि जब त्रुह मेरे आगे दोहाई देगा शाब में उस की मुनगा क्योंकि मैं दयाल हूँ। २७। तू अध्यक्षों को दुर्वचन मत कह और अपनी मंडली के प्राचीनों को साप मत दे ॥ २८। अपने पक्क फालों की बढ़ती में से और अपने दाखरस में से देने में विलंब मत कर अपने पुत्रों में से पहिरोठा मुझे दे ॥ २९ । ऐसा ही नू अपने थैलों से वार भेड़ों से कीजिये। सात दिन लां वह अपनी मा के साथ रहे आठवें दिन उसे मुझे दीजिया । ३० । और तुम मेरे लिये पवित्र मनुष्य होओगे और जा. 11