पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१६६

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याबा सू ने अपने खेत में बाये और एकट्ठा करने का पर्व बरस के अंत जब तू खेत से अपने परिश्रम के फल एकट्ठा कर ले ॥ १८ । नेरे समस्त पुरुष बरस बरस तीन बार परमेश्वर ईश्वर के मन्मुख हेावें ॥ १८॥ तू मेरे बलिदान का लोहू जो मेरे लिये है मौरी रोटी के साथ मन चढ़ा और मेरे बलि की चिकनाई विहान लो रहने न पाचे ॥ १९ । अपनी भमि के पहिले फलों के पहिले को परमेश्वर अपने ईश्वर के मंदिर में लान बकरी का मेम्ना उस की माता के दूध में मत सिझा॥ २०॥ देख मैं एक दूत तेरे श्रागे भेजता हूं कि मार्ग में तेरी रक्षा करे और तुझे उस स्थान में जो में ने सिद्ध किया है ले जाय । २१ । उरम चौकस रह और उस का कहा मान उसे मत खिजा क्योंकि बुह तुम्हारे अपराध को क्षमा न करेगा इस लिये कि मेरा नाम उन में है। २२ । यदि तू सच मुच उस का कहा माने चार सब जी मैं कहता हूं माने तो मैं तेरे शत्रुन का शत्रु और तेरे बैरियों का वैरी हंगा॥ २३ । क्योंकि मेरा दून नेरे आगे आगे चलेगा और तझे अमरियों और हिनियां और फजियों और कनानियों और हवियां और यसियों के देश में लावेगा और मैं उन्हे नाश करूंगा ॥ २४। उन के देवतों के आगे मन झकिया न उन की सेश करना न उन के ऐसा कार्य करना परंतु उन्हें ढा दे और उन की मूर्ति न को तोड़ डाल ॥ २५ । और परमेश्वर अपने ईश्वर की सेवा करो और बुह तुम्हारे अन्न जल में श्राशीष देगा और मैं तुम्हारे बीच में से रोग उठा लूंगा॥ २६ । तेरे देश में कोई गर्भपात और बांझ न रहेगी मैं तेरे दिनों की गिनती को पुरा करूंगा ॥ २७ । मैं अपने भय को तेरे आगे भेजूंगा मैं उन लोगों को जिन पास न यावेगा नाश करूंगा और मैं ऐसा करुगा कि तेरे बैरी तेरे आगे पीठ फोर देंगे॥ २७। मैं तेरे आगे बर्रय को भेजूंगा जो हकी और कनवानी और हिती को तेरे साम्न से भगावेगी॥ २४ । मैं उन्हें एक ही बरस में तेरे धागे से दूर न करूंगा ऐमा न हे कि देश उजाड़ है। और बन के पशु तेरे विरोध में बढ़ जायें ॥ ३० । मैं उन्हें थोड़े थोड़े कर के तेरे आगे से दूर करूंगा यहां लो कि तू बढ़ जाय और देश का अधिकारी हो जाय ॥ ३१ । लाल समुद्र से लेके फिल स्तियां के ममुद्र लो धार बन से नदी ला तेरा मिशाना बांधूंगा क्योंकि मैं देश के