पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१६९

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२५ पन्ने की पुस्तक। उस हाथ होवे। १.। और शमशाद को लकड़ी की एक मजघा बनाव जिस की लंबाई अढ़ाई हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ ठौर ऊंचाई डेढ़ हाथ होवे ॥ ११॥ और त उम के भीतर और बाहर निर्मल सेना मढ़िया और उस के ऊपर पास पास सेने के कलस बनाइयो। १२ । और लिये सेाने के चार कड़े ढाल के उस के चारों कोनों पर दो कड़े एक अलंग दो कड़े दूसरी अलंग लगाइयो । १३ । और शमशाद की लकड़ी के बहंगर बनाइयो और उन पर सेना मढ़िया ॥ १४ । और लम मंजुषा के अलंग अलंग के कड़े में उन बहंगरां को डान दीजियो जिसतं उन से मंजूषा उटाई जाय ॥ १.५ । मंजषा के कड़ी में बहंगर डाले जायें वे उन्हो अलग न हो। १६ । और न उस साक्षी को जो मैं तुझे देऊंगा उस मंजघा में रखियो ॥ १७॥ चार तू निर्मल सोने का दया का एक आसन बनाइया जिस की लंबाई अढ़ाई, हाथ और चौड़ाई डन्त १८। और पीटे हुए सेने के दो करोबी उम त्या के अामम के दोनों खूटों में बनाइयो॥ १६ । एक करोबी एक में और दूसरा दूसरे खूट में दया के शासन में से दो करोबी उम्र के दोनों खूट में बनाइयो । २० । और बे करोबी पर फैलाये हुए हों ऐसे कि या का आसन उन के पंखों के नीचे ढंप जाय और उग के मुंह आम्ने साम्ने दबा के आमन की ओर होवें ॥ २१। और त उस दया के आसन को उम् मंजूषा के ऊपर रखिया और बुह मादी जर मैं तुझे देऊ' उस मंजुषा में रखियो । २२। वहां मैं तुझ से भेंट करूंगा और मैं दया के श्रासन पर से दोनों करोबियों के मध्य से जो साची की मंजूघा के ऊपर होंगे I के कारण और मैं इसराएल के संतानों के लिये तुझे आज्ञा करूंगा तझ से बातचीत करूंगा। २३। और तू शमशाद की लकड़ी का दो हाथ लंबा और एक हाथ चौड़ा और डेढ़ हाथ ऊंचा मच बनाइयो॥ २४। और उसे निर्मल सेोने से मदिया और उस पर चारे छोर सेोने का एक कलम बनाइयो। २५ । और उस के लिये चार अंगुल झालर चारों ओर बनाइया और उम झालर के चारों ओर सेने के मकुट बनाइया॥ २६ । और के लिय सोने के चार कड़े बनाइयो और उस के चार पाया के चार केोने उन मब वस्तुन उम