पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१७

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और ४ प] की पुस्तक । बीम ठहराये और चमकते हुए खड्ग को जो चारों ओर घूमता था जिसने जीवन के पेड़ के मार्ग की रखवाली करें। चौथा पर्च। पर आदम ने अपनी पत्नी हवः को ग्रहण किया और गर्भिणी हुई और उसे काइन उत्पन्न हुआ और बोली कि मैं ने परमेश्वर से एक पुरुष पाया॥ २। और फिर वुह उम के भाई हावील को जनी और हाबील भेड़ों का चरवाहा हुआ परन्तु काइन किसनई करता था। ३। और कितने दिनों के पीछे या डबा कि काइन भूमि के फलों में से परमेश्वर के लिये भेंट लाया ॥ ४। और हाबौल भी अपनी में से पहिलाठी और मोटी मोटी लाया और परमेश्वर ने हाबील का और उस की भेंट का श्रादर किया॥ ५। परन्तु काइन का और उम की भेंट का अादर न किया इस लिये काइन अति कोपिन हुआ और अपना मुंह फुलाया ॥ ६ । नत्र परमेश्वर ने काइन से कहा तू क्यों है और तेरा मुंह क्यों फल गया ॥ ७। यदि तू भला करे तो क्या तू ग्राह्य न होगा और यदि तू भला न करे तो पाप द्वार पर है और वह तेरे बश में होगा और तू उस पर प्रभुना करेगा॥ ८। तब काइन ने अपने भाई हाबील से बान किई और या हुआ कि जब वे खेत में थे तब काइन अपने भाई हाबील पर झपटा और उसे घान किया। तब परमेश्वर ने काइन से कहा तेरा भाई हावील कहां है बुह बोला मैं नहीं जानता क्या मैं अपने भाई का रखयाल हं॥ १। तब उस ने कहा तू ने क्या किया तेरे भाई के लोहू का शब्द भूमि से मुझ पुकारता है॥ १९ । और अब तू प्रथिबी से नापित है जिस ने तेरे भाई का लोह तेरे हाथ से लेने को अपना मुंह खोला है।। ५२। जब तू किसनई करेगा तो बुह नेरे वश में न होगी तू एथिवी पर भगोड़ा और बहेतू रहेगा॥ १३। तब काई न ने परमेश्वर से कहा कि मेरा दण्ड मेरे सहाच से अधिक है। १४ । देख तू ने आज देश में से ममे खदेर दिया है और मैं तेरे आगे से गुम हाऊंगा और मैं एथिबी पर भगोड़ा और बहेतू हाऊंगा और ऐसा होगा कि जो कोई मुझे पावेगा मार डालेगा ॥ १५ । तब