पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१७३

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२७ पद्ध] की पस्तक । बना और उस की सौंग उसी से हो और उसे पीतल से मन ॥ ३। और उस की राक्ष के लिये पाव बना उस की फाड़ियां और उस के कटोरे और उस का त्रिशल और अंगठियां वना उम् के समस्त पाव पीतल के वना। HI और उम के लिये पीतल के जाल की एक झझरी बना और उस जाल में पीतल के चार कड़े उस के चारों कोनों में बना ॥ ५। और उसे बेदी के घेरा के नीचे रख जिमने बेदी के मध्य लो पहुंचे। ६। और यज्ञवेदी के लिये शमशाद की लकड़ी का वहंगर बना और उन्हें पौनल से मढ़॥ ७॥ और उन वहंगरों को कड़ा में डाल और वहंगर यज्ञवेदी के उठाने के लिये दोनों अलंग में है।३॥ । उम के पाट यों पोले बनाइयो जैसा कि तुझे पहाड़ में दिखाया गया वैसाही उन्हें बनाइयो और तंब के कारण एक प्रांगन बना दक्षिण दिशा के प्रांगन के कारण बटे डर होने सूती कपड़े से मौ हाथ लंबा एक अलंग के लिये और बना। १.। और उम के बौस खंभे और उन के बीम पाए पीतल के हो और खंभा के अंकुरे और उन के डंड रूपे के बना ॥ ११॥ और ऐसे ही उत्तर की ओर की लंबाई के लिये सौ हाथ की लंबी बोट और उम के बीम खंभे और उन के पीतल के बौस पाए और खंभों के अंकुरे और उन के डंडे रूपे के हो ॥ १२। और पश्चिम अलंग के आंगन की चौड़ाई में पचास हाथ की ओट है और उन के इस खंभे और उन के दस पाए हे। १३ । और पर्व अलंग के श्रांगन की चौड़ाई पचास हाथ हो ॥ १४ । एक और की ओट पंदरह हाथ होय उन के तीन खंभे और उन के तौन पार हो । १५। और इमरी ग्रोर को ओर पंदरह हाथ उन के तीन खंभे और उन के तीन पाए ॥ १६ । और प्रांगन के फाटक के लिये नीला और बैंजनी और लाल रंग का बटे हुए झीने सती कपड़े से बटे काढ़े हुए का बीस हाथ की एक ओट बना उन के खंभे चार और उन के पाए चार ॥ १७॥ और आगन के चारों ओर के समस्त खंभे रूपे के डंडों से हो उन के अंकुरे रूपे के और उन के पाए पीतल के। १८। आंगन की लंबाई मी हाय और चौड़ाई पचास हाथ और ऊंचाई पांच हाय झीने बटे हुए सूती कपड़े से यार उन के पाए पीनल के ॥ २६ । नंयू