पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१७५

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२८ पचे] को पुस्तक । के संतानों के नाम पाद उन्हें सोने के ठिकानों में जड़। १२। और दोनों मणि को एफोद के दोनों मांद पर रख कि इसराएल के संतानों के सारण के लिये हो। और हारून उन के नाम परमेश्वर के बाये अपने दोनों कंधों पर स्मरण के लिये उठावेगा॥ १३ । और सेाने के ठिकाने बना ॥ १४ । और दोनों सौकरें निर्मल सोने से खूटों में गथने के कार्य से उन्हें वना और गुथी हुई सीकरों को उन ठिकानों में जड़॥ १५ ॥ और चित्रकारी से न्याय के लिये एक चपरास बना एफोद के कार्य के समान सोने और बैंजनी और लाल और झीने बटे हुए सूती कपड़े से बना ॥ १६ । यह चौकोर दोहरा होवे उस की लंबाई एक बित्ता और उम की चौड़ाई एक बित्ता ॥ १७॥ और मणि की चार पांती भर दे पहिलो पांती में मणि का और पझराग और लालड़ी। ९८। दूसरी पतिी में मकत और नौलमणि और हीरे। १६ तौसरी पांती में लशम और सूर्यकांत और नीलिम ॥ २० । चौथी पांती में बैर्य और फिरोजा और चंद्रकांत वे सोने के ठिकाने में जड़े जयि ॥ २१ । और मणि इसराएल के बंश के नाम के संग हैं छापे के खोदे हुए उन के नाम के संतान भेद बारह गोष्टी के समान हर एक अपने नाम के मंग होवे ॥ २२। और चपराम के ऊपर निर्मल सोने की गुथी हुई सौकरें खूट में बना ॥ २३ । और चपरास पर सोने की दो कड़ियां बना और उन्हें चपरास के दाने खूटों में लगा ॥ २४ । और सेने को गुथौ हुई सोकर उन दोनों कार्यों में जो चपरसस के दोनों खूटों में हैं लगा॥ २५ । और गुथे हुए दोनों के दोनों खूट उन के दो ठिकाने में जड़ और उन्हें एफाद के कंधों पर धागे रख ॥ २६। और सोने की दो कौड़यां बना और उन्हें चपरास के किनारे के खूट पर जा एफोद के भीनर है और उस के जोड़ने के साम्ने एफोट के पटु के के ऊपर रख ॥ २७। और सोने की दो कड़ियां एफेोद के नीचे दोनों अलंग में रख उस के आगे की और जोड़ के साम्ने चित्रकारी के एफोद के ऊपर रख ॥ २८। और वे चपरास को उस की कड़ियों से एफोद को कड़ियों में नीले गाटे से बांध कि एफेद के पटके के ऊपर हो जिसने चपरास एफोद से न हटे ॥ २६। और हारून नित्य परमेम्बर के आगे