पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१७८

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यात्रा [२८ पर्द एक मेंढ़े को भी ले और हारून पर उस के बेटे अपने हाथ उस के सिर पर रखें। १६ । और उसे बलिदान कर और तू उम के लोह को यज्ञबेदी पर और उस के चारों ओर छिड़क । १७ । और मेंढ़े को टुकड़ा टुकड़ा कर और उस के अंतर और उस के पांव धो और उस के टुकड़े सिर के साथ एकट्ट कर॥ १८ । और उस समस्त मेंहे को यज्ञबेदी पर जलर यह होम की भेंट परमेश्वर के लिये अनीय सुगंध बास परमेश्वर के लिये है। १६। फिर दूमरा मेंढ़ा ले चार हारून और उस के बेटे अपने हाथ उस के सिर पर रकडे ॥ २० । तब तू उस मेंदे को बलिदान कर और उस के लोह में से ले और हारून के और उस के बेटों के दाहिने कान की लहर पर और उन के हिने हाथ के अंगूठे पर और दहिने पांव के अंगूठे पर लगा और यज्ञवेदी पर चारों ओर छिड़क ॥ २१ । और उस लोन में से जो यज्ञवेदी पर है और अभिषेक का तेल ले और हारून पर और उस के बस्त्र पर और उस के बेटों पर और उन के बस्त्रों पर उस के साथ छिड़क नब बुह और उस के वस्न और उस के बेटे चौर उन के वस्त्र उस के मंग पवित्र होंगे। २२। और मेंटे की चिकनाई और पूंछ और बुद्ध चिकनाई जो औरत को ढांपनी है और जो कलेजे को ढांपती है और दोनों गुर्दे को चौर बुह चिकनाई जो उन्हों पर है और दहिना मेटा ले इस लिये कि यह मेंहा स्थापने का है। २३ । और एक रोटी और तेल में चुपड़ी हुई रोटी का फुलका और अखमीरी रोटी के टोकरे में से एक टिकरी जो परमेश्वर के सन्मुख है॥ २४ । और यह सब हारून के और उस के बेटों के हाथ पर रख और उन्हें परमेश्वर के आगे हिलाने के बलिदान के लिये हिला॥ २५ । और उन्हें उन के हाथ से ते और यज्ञवेदी पर जलाने के बलिदान के लिये जला कि परमेश्वर के आगे नुगंध के लिये हो यह भाग का बलिदान परमेश्वर के लिये है॥ २६ । और तू हारून के रथापित मेंढ़े को छाती ले और उसे परमेश्वर के ग्राम दिलाने के बलिदान के लिये हिला और वह तेरा भाग होगा। २७। और तू हिलाने के बलिदान की हाती को और उठाने के पुढे को जो हारून और उस के बेटों को स्थापित करने