पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१८०

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यात्रा [३० पई नित्य होगी जहां मैं तुम से बानी करने के लिये भेंट करूंगा । और मैं इसरार के मतान से बहा भेट करूमा और बुह मेरी महिमा के लिये पवित्र होगा। ४४ । और मैं मंडली के तंबू के चार यज्ञवेदी को पवित्र कहेगा और हाहन और उस के बेटी को पवित्र करूंगा कि वे मेरे लिये यजक होय ॥ ४।। और मैं इमरारल के संतानों में वाप्न करूंगा और में उन का ईश्वर हंगा। ४६ । और वे जानेग कि मैं परमेश्वर उन का ई पर हं जा उन्ह मिस्त्र की भूमि से निकाल लाया जिमन मैं उन में बात कर में परमेश्वर उच का ईश्वर हूं। अर बना। ३० तीमा पन्न। र माद को लकड़ी से धूप जलाने के लिये एक यज्ञवेदी २। उस की लंबाई और चौड़ाई एक एक हाय चौकार होये और उन को ऊंचाई दो राय उरह के सींग उमी से हां॥ ३। उसे निभल सोने से मढ़ उस की छत और उस के चारों और के मुकुट और उस के भौंग का और उस के चारों पर सोने का मुकुट बना ॥ ४। और सोने के दो कड़े उप के मुकुट के नीचे उम के दोनों कानों के पाम उम को दोनों अलंग पर बना और वे उठाने के बहंगर के स्थान होंगे। ५। और बहंगर को शशाद की लकड़ी से बना और उसे सोने सेमढ़। ६ । और उसे शोभाल के आगे जा साली की मंजपा के ऊपर रख दया के श्रासन के सामने जो साक्षी के ऊपर है जहां में से भर करूंगा। ७। और हर बिहान को हारून उस पर नुगंध द्रव्य का धूप जलावे जद वुड दीपकों को सुधारे बुह उस पर धूप जलावे । । और जब हारून संध्या के समय में दीमक को वारे वुह उस पर तु हारी सगल पीढ़ियां में परमेश्वर के आगे धूप जलावे ॥ ६। तुम उस पर उपरी ध्रुव और होम का बलिदान और मांस को भेट न चढ़ाइया और उस पर पौने की अट न चढ़ाइबो॥ १.। और हारून बरस भर में एक बार म के मोंगों पर पाप की भेंट के प्रायश्चित के लोह में प्रायश्चित्त करे तुम्हारे समस्त पीढ़ियों में बरस में एक बार उस पर प्रायश्चित्त करे यह परमेार के लिये अति परिव है।