पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१८२

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यात्रा १७२ [३१ पद तंव को और साक्षी की मंजूषा को अभिषेक कर॥ २७। और मंच और उस के समस्त पात्र और दीअट और उस के पात्र और धूप की बेटी ॥ २८। और भेट के होम करने की बेदी उस के ममस्त पात्र सहित और स्नान पान और उस का पाया। २९ । और उन्हें पवित्र कर कि वे अति पवित्र हो जायें जो उन्हें छूवे से पवित्र होगा। ३० । और हारून और उम के बेटे को अभिषेक करके उन्हें स्थापित कर कि मेरे लिये याजक हेवें ॥ ३१ । और इसराएल के संतान को यह कह के बोल कि यह परिब अभिषेक का तेल मेरे लिये तुम्हारी समस्त पीढ़ियों में होय । ३२ । किसी मनुष्य के शरीर पर न डाला जाय और तुम बैसा और उनी के मेल में न बनाइयो कि यह पवित्र है तुम्हारे लिये पवित्र होगा। ३३ । जो कोई उम के समान बनावे अथवा जो कोई उसे किसी पर- देशी पर लगावे से अपने लोगों से कर जायगा॥ ३४ । और परमेश्वर ने मुसा से कहा कि तू अपने लिये सुगंध द्रव्य अर्थात् बोल और नखी और शुद्ध कुंटुरू और मुगंध व्य और चोखा लोबान लीजियो और हर एक को समान लीजिया ॥ ३५ ॥ और उन का सुगंध बनाइयो गधी के कार्य के समान मिलाया हुत्रा पवित्र और शुद्ध होवे ॥ ३६ । और उस में से कुछ बुकनी कर और उस में से कुछ मंडली के तंबू को साक्षी के आगे रख जहाँ मैं तुझ से भेंट करूंगा बह तुम्हारे लिये अति पवित्र होगा ॥ ३७॥ और सुगंध द्रव्य अथवा धूप को जिसे तू बनाये तो तुम दक्ष की मिलावट के समान अपने लिये मत बनाओ वही तुम्हारे पास परमेश्वर के लिये पवित्र होगा॥ ३८॥ जो कोई सूंघने के लिये उस के समान बनावेगा से अपने लोगों में से कर जायगा। ३१ एकतीसवां पर्व । T • फर परमेश्वर मूसा मे यह कह के बोला ॥ २॥ कि देख मैं ने जरौ के पत्र बज़िन्निएल को जो हर का पोता यहूदाह के कुल में का है नाम लेके बुलाया ॥ ३। और मैं ने उसे बुद्धि में और समझ में और ज्ञान में और समस्त प्रकार की हथोरी में परमेम्वर के आत्मा से भर दिया | सोने और रूपे और पोनल के कार्य करने में अपनी बुद्धि से इथौटी का । कि