पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१८४

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१४ याबा [३२ पर्व समस्त २२ वीसवां पच्दै । पर जब लोगों ने देखा कि मूमा ने पहाड़ से उतरने में बिलंव किया तब वे हारून के पास एकटे हुए और उसे कहा कि उठ और हमारे लिये ईश्वर बना कि हमारे आगे चले क्यांकि यह मूसा जो हमें मिस के देश से निकाल लाया हम नहीं जानते कि क्या हुआ । २। नव हारून ने उन्हें कहा कि अपनी पत्नियां और पुत्रों और पुत्रियों के कामों से सेाने की बालियां तोड़ तोड़ के मुझ पास ला ॥ ३। सेो लोग सोने की बालियां तोड़ तोड़ के जो उन के कानों में थौं हारून के पास लाये। ४। और उस ने उनके हाथों से लिया और दाला हुला एक बड़ा बना के राकी से उस का ढोल किया और उन्हें कहा कि हे दूसराएल यह तेरा ईश्वर है जो तुझे मिल के देश से निकाल लाया ॥ ५ । और जब हारून ने देखा तो उन के आगे बेदी बनाई और यह कहके प्रचार कराया कि कल परमेश्वर के लिय पर्व है।६। फिर वे बिहान को तड़के उठे और होम की भेंट चढ़ाई और कुशल का बलिदान लाये और लोग खाने पीने को बैठे और लीला करने को उठे। ७। फिर परमेपर मे मूसा से कहा कि उतर जा क्योंकि तेरे लोगों ने जिन्हें तू मिन के देश से निकाल लाया श्राप को नष्ट किया है। ८ । वे उस मार्ग से जो मैं ने उन्हें बताया था शीघ फिर गये और अपने लिये ढाला डबा बछड़ा बनाया और उसे पूजा और उस के लिये बलिदान चढ़ा के कहा कि हे इसराएल यह नेता ईश्वर है जो तुझे निस्त्र देश से निकाल लाया ॥ <फिर परमेश्वर ने मूसा से कहा कि मैं ने इन लोगों को देखा और देखा कि ये लोग एक कटोर गले लोग हैं । १० । सो अब न मुझे छोड़ कि मेरा काध उन पर अन्दांत भड़के और मैं उन्हें भसा करूं और मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊंगा ॥ ११ ॥ फिर भूमा ने परमेश्वर अपने ईश्वर की विनती किई और कहा कि है परमेश्वर किस लिये तेरा क्रोध अपने लोगों पर भड़का जिन्हें तू मिस्त्र देश से महा पराक्रम और सामर्थों हाथ से निकाल लाया। लिये मिसी कह के बालें कि बुह बुराई के लिये उन्हें यहां से निकाल १२। किस