पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१८५

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३२ पज्व] कीपस्तक। ले गया जिसने उन्हें पहाड़ों में नाश करे और प्रथिवी पर से भस्म करे अपने अत्यंत काध से फिर जा और अपने लोगों पर बुराई पहुंचाने से फिर जा॥ १३। अपने दाम अबिरहाम इजहः । और दूभराएल को स्मरण कर जिन से तू ने अपनी ही किरिया खाके कहा कि मैं तुम्हारे बंश को खर्म के नारों के समान बढ़ाऊंगा और यह समस्त देश जिस के बिषय में मैं ने कहा है कि मैं तुम्हारे बंश को देऊंगा और वे उस के सनातन के अधिकारी होंगे। १४ । लद परमेश्वर उस बुराई से जो चाही थी कि अपने लोगों पर करे फिरा । १५ । और ममा फिरा और पहाड़ से उतरा और पानी को दोनों पटियां उस के हाथ में थीं और पटियां दोने और लिखी हुई थौं । १६ । और वे परियां ईश्वर के कार्य थी और जो लिखा हुआ से ईश्वर का लिखा धरियों पर खादा हुआ। १७। और जब यहूसूत्र ने लोगों के कोलाहल का शब्द मुना तो मूसा से कहा कि छावनी में लड़ाई का शब्द है ॥ ५८। फिर कहा कि यह धाधुस में जो शब्द होता है से हार जोन का नहीं है न यह दुबैजना का शब्द है परंतु गीत का शब्द है। १६ । चौर यां हुअा कि जब छावनी के पास आया नब उस मे उस बछड़े को और नाचना देखा तब मूसा का क्रोध भड़का तब उस ने पटियां अपने हाथों से फेक दिई और उन्हें पहाड़ के नीचे तोड़ डाला ॥ २.। फिर उसने उस बड़े को जिसे उन्हों ने बनाया था लिया और उसे आग में जलाया और उसे बुकनौ किया और पानी पर बियराया और इमराएल के संतानों को पिलाया॥ २१। फिर मूसा ने हारून को कहा कि इन लोगों ने तुझ से क्या किया कि तू उन पर ऐसा महा पाप लावा । २२ । और हारून ने कहा कि मेरे प्रभु का क्रोध न भड़के तू लोगों को जानता है कि वे बुराई पर है। २३ । क्योंकि उन्हों ने मुभी कहा कि हमारे लिये ईश्वर बना कि हमारे आगे चले इप्स लिये कि यह मूमा जो हमें मिस्त्र देश से निकान्न लाया हम नहीं जानते कि क्या हश्रा॥ २४ । तब मैं ने उन्हें कहा कि जिम किसी के पास सोना हो सो तोड़ लावे सो उन्होंने मुझे दिया तव मैं ने उसे आग में डाला उरसे यह बछड़ा निकला । २५ । और मूसा ने लोगों को निरङ्कुश देखा क्योंकि हारून ने उन