पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१८८

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यात्रा [३४ पन्न अनुग्रह पाया है तो मैं तेरी विनती करता हूं कि अपना मार्ग मुझे पता जिमत मुझ निश्चय हो कि में ने तेरो दृष्टि में अन्य पाया है और देख कि ये जानि तेरे लोग हैं। ५४। तब उस ने कहा कि मैं ही जाऊंगा और मैं तुझे विधान देऊंगा॥ १५ । मूमा १५ । मूमा ने कहा कि यदि आप न जायं तो हमें यहां से मत ले जाइये ॥ १६ । क्योंकि किस रीति से जाना जायगा कि मैं ने और तेरे लोगों ने तुझ से अनुग्रह पाया है क्या इस में नहीं कि तू हमारे साथ जाता है से मैं और तेरे लोग समस्त लोगों से जाघिवी पर हैं अलग किये जायंगे। १७। और परमेश्वर ने भूमा से कहा कि जो बात तू ने कही है मैं ने उसे भी मान लिया क्योंकि तू ने मेरी दृष्टि में अनुग्रह पाया है और मैं तुझ नाम सहित जानता हूँ । १८ । तब ममा ने कहा कि मैं तेरी बिनती करता हूं कि मुभी अपनी महिमा दिखा। १६ । उस ने कहा कि मैं अपनी सब भलाई को तेरे आगे चलाऊंगा और मैं परमेश्वर के नाम का प्रचार तेरे शामे करूंगा और जिम पर रूप न हूं उमी पर कृपा करूंगा और जिस पर दयाल हूं उसी पर दया करूंगा। २०॥ और बोला कि त मेरा रूप नहीं देख सक्ता क्योंकि मुझे देख के कोई न जीयेगा। २।। और परमेश्वर ने कहा कि देख एक स्थान मेरे पास है और तू उस टीले पर खड़ा रह । २२। और यों होगा कि जब मेरी महिमा चल निकलेगी तो मैं तुझे पहाड़ के दरार में रक्ढूंगा और जब ले जा निकला तुझे अपने हाथ से ढांपूगा ॥ २३। और अपना हाथ उठा लूंगा और तू मेरा पी। देखेगा परंतु मेरा मुंह दिखाई न देगा। ३४ चैतीमयां पर्च। फर परमेश्वर ने मूसा से कहा कि अपने लिये पहिलो परियों के समान पन्यर की दो पटियां चीर और मैं उन पटियां पर वे बात लिखूमा जा पहिलो पटियों पर थीं जिन्हें तू ने तोड़ डाला ॥ २। और लड़के मिड हो और बिहान को सौना के पहाड़ पर चढ़ था और वहां पहाड़ की बाटी पर मेरे भागे हो जा॥ ३ । और कोई मनुव्य तेरे साथ न याचे और समस्त पहाड़ पर कोई देखा न जावे झुंड और लेहड़ा पहाड़ के