पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१९२

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यात्रा [३५ पर्ज और तम । में से जो बुद्धिमान है आने और जो कुछ परमेश्वर ने आज्ञा किई है बनावे ॥ ११ । निबास और तंबू और उम का घटाटोप और उम को बुण्डियां और उस के पार और उम के अड़गे और उम के खंभे और उस के पार ॥ १२ । और मंजूषा और उस के बहंगर और ट्या का आसन और ढांपने का चूंघट॥ १३ । मंच और उस के बहंगर और उस के समस्त पात्र और भेंट की रोटी ॥ १.४ । और ज्याति के लिये दीअट और उम की सामग्री और प्रकाश के लिये तेल के संग उस के दीपक १५ । और धप की यज्ञबदी और उस के बगर और अभिषेक का तेल और धूप और सुगंध द्रव्य और तंबू में प्रवेश करने के द्वार की ओर ॥ १६ । यज्ञवेदी पीतल की भरनी और उस के बहंगर और उम के समस्त पात्र और झानपान उस के पाए समेत । १७। बांगन को चोट और उन के खंभे और उन के पाए और आंगन के द्वार की ओर ॥ १८। नंबू के खूटे और आंगन के खूटे और उन की डोरियां ॥ २६ । सेना के वस्त्र जिसने पवित्र स्थान में सेवा करें हारून याजक के लिये पवित्र वस्त्र और उस के बेटों के पवित्र बस्त्र जिप्तते याजक के पद में सेवा करें॥ २०॥ तब इसराए न के संतानों की समस्त मंडली मूसा के आगे से चली गई ॥ २१ । और हर एक जिम के मन ने उसे उभाड़ा और हर एक अपने मन के अभिलाष से जिस ने जो चाहा मंडली के नंबू के कार्य के कारण और उम के नैवेद्य और उस की समस सेवा और पवित्र बस्त्र के निये परमेश्वर की भेंट लाया । २२। और वे ग्राये क्या स्त्री क्या पुरुष जितनों को बांछा हुई और खड़ने और बालियां और कुंडल और अंगठियां ये सब सोने के गहने थे और हर एक मनुष्य जिस ने परमेश्वर के लिये सोने की भेट दिई ॥ २३। और हर एक मनुष्य जिम के पास नीला और बैंजनी और लाल मन के भौने वम्त और बकरियों के रोम और मेंहों के लाल चमड़े और तखसों के चमड़े लाया। २४। हर एक जिस ने कि परमेश्वर को रूपे की अथवा पीतल की भेंट दिई अपनी भेट परमेश्वर के लिये लाया और जिस किमी के पास शमशाद की लकड़ी थी से उसे सेवा के कार्य के लिये लाया। २५ । और समस्त स्त्रियों ने जो बुद्धिमान थी अपने अपने हाथों से काता