पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१९५

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३६ पन] को पुस्तक। २० । और उस ने तंब के लिये शमशाद की लकड़ी से खड़े पाट बनाये ॥ २१। हर पाट की लंबाई दस हाथ और उस की चौड़ाई डेढ़ हाथ। २२ । हर पाट में दो दो पाए जो एक दूसरे से समान अंतर में थे उस ने तंबू के समस्त पाटो के लिये याही बनाया ॥ २३ । और उम ने तंब के लिये पाट बनाया बीम दक्षिण को और के लिये ॥ २४ । और उस ने उन बीस पाटे के नीचे के लिये रूपे के चालीस पाए बनाये हर पाट के नीचे के लिये दो दो उस के फलों के ममान ॥ २५ । और दूसरे पाट को पार के लिये तंबू की दूसरी अलंग जो उत्तर की ओर है बीस पार बनाये। २६। और चालीस रूपे के पाए हर एक पार के नीचे दो पाए एक पाट के और उस में तंबू की पश्चिम अन्लंग के लिये ; पाट बनाये ॥ २७॥ और तंबू की दोनों अलंग में करने के लिये दो पाट बनाय॥ २८। और वे नीचे जोड़े गये और एक कड़ी में ऊपर से जाड़े गये दूमो रीति से उस ने दोनों के दोनों कोनों में जोड़ा ॥ ३०॥ और पाठ पाट और उन की चांदी के सोलह पाए थे एक पाट के नीचे दो दो पाए। ३१ । और शमशाद काष्ठ से अड़गे बनाये तंबू की एक अलंग के पाटों के लिये पांच ॥ ३२ । और नंब को दूसरी अलंग के पाट के लिये पांच अड़गे और तंबू की पश्चिम अलंगों के लिये पांच ॥ ३३। और उस ने मध्य का अडंगा ऐसा बनाया कि एक सिरे से दूसरे मिरों के पाटों में प्रवेश होवे ॥ ३४। और पाटो को सेने से मना और उन के कड़े सोने के बनाये अड़गों के लिये स्थान और अडंगों को सोने से मढ़ा ॥ ३५। और नौला और बैंजनी और लाल रंग और बटे हुए होने मूती बस्त्र से एक घूघट बनाया हपोटी के कार्य से उसे करोबीम के माथ बनाया। ३६। और उस के लिये शमशाद के चार खंभे बनाये और उन्हें सोने से मढ़ा और उन के आंकड़े सेोने के और उन के लिये चार पाए चांदी के ढाल कर बनाये ॥ ३७॥ और बुह नौला और बैंजनी और लाल और घटा हुश्रा झोने मूत से बूरा काढ़ी हुई तंबू के द्वार के लिये एक शॉट बनाई॥ ३८। और उस के पांच खंभे अांकड़े सहित बनाये और उन के मिरे और कंगनी सोने से महे परंतु उन के पांच पाए पीतल के। 24. [A. B.S.