पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१९६

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याचा (३.७ पर्व डी ३७ मैंतीसवां पब । भूगार बजिलिऐल ने शमशाद काष्ट से मंजूषा को बनाया जिस की लंबाई अढ़ाई, हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ और ऊंचाई डेढ़ हाथ की॥ २। और उसे चोखे सोने से भीतर बाहर मढ़ा और उस की चारों ओर के लिये एक सोने की कंगनी बनाई। ३। और उम ने उस के चार कोनों के लिये सोने के चार कड़े ढाले दो कड़े उस को एक अलंग और दो कड़े उस की दूसरी अलंग। है। और शमशाद की लकड़ी के बहंगर बनाये और उन्हें सोने से मढ़ा ॥ ५ । और उस ने बहंगरों को मंजषा की अलंग के कड़े में डाला कि मंजषा को उठावें ॥ ६। और उस ने दया के शासन को चोखे सेरने से बनाया उस की लंबाई अढ़ाई हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ ॥ ७। और सोने के दो करोवी बनाये एक टुकड़े से पीट के दया के आमन के दोनों खूट में उन्हें बनाया । ८। एक करोबी इम खूट में और एक करोयी उम खूट में दया के प्रासन में से उस ने करोवियों को दोनों खूट में बनाया । । और करोवियों ने अपने पंख ऊपर फैलाये और अपने पंख से दया के आसन का ढांप लिया उन के मुंह एक दूसरे की ओर थे दया के आसन की ओर उन के मुह थे। १० । और उस ने मंच को शमशाद की लकड़ी से बनाया उन की लंबाई दो हाथ और चौड़ाई एक हाथ और उस की ऊंचाई खेढ़ हाथ ॥ ११ । और उसे चोखे सोने से मढ़ा और उस के लिये चारों ओर सेोने का एक कलस बनाया। १२। और उस ने उस के लिये चार अंगुल की एक कंगनी बनाई और उस कंगना के लिये चारो और सोने के कलस बनाये ॥ १३। और उस ने उस के लिये सोने के चार कड़े ढाले और उन्हें उस के चारों पायों के चारों कोनों में लगाया ॥ ११ । कंगनी के सन्मुख कड़े थे बहंगर के स्थान मंच उठाने के लिये ।। १५ । और उस ने बहंगरों को शमशाद को लकड़ी का बनाया और उन्हें सेाने से महा मंच उठाने के लिये। १६ । और मंच पर के पात्र के थाल और उम के कटोरे और उस की धालियां और उस की कटोरियां ढपने के लिये निर्मल सोने के बनाये ।। १७। और उस ने (