पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/१९७

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३८ पचे] की पुस्तक। १८७ दीअट को निर्मल सोने से गढ़ के बनाया और उस की डंडो और डाली और कटारियां और कलियां और उम के फल एक ही से थे ॥ १८। और उम के अलंगों से छः डालियां निकलती थी हीट को एक अलंग से तीन डालियां और दीट की दूसरी अनंग से तीन डालियां, १। तीन कटोरियां बदाम की नाई हर एक डाली में थीं और कली और फूल उनी छयो डालियों में जो दौअट से निकलती थौं । २० । और दोमट में चार कटारियां बदाम की नाई बनी हुई थीं उप्त की कलियां और फूल ॥ २१ । और उस की दो दा डालियों के नीचे एक एक कली थी कः डानियों के समान जो उस्म निकलती थीं। २२ । कलियां और डालियां उन की उमी से थी ये सच के सव निमस्नु सोने से गढ़े हुए थे ॥ २३ ॥ और उस के लिये सात दीपक और उस के फूल की कतरनिया और उस के पात्र निर्मल सोने से बनाये । २४ । और उस ने उस के समस्त पात्रों को एक तोडा निर्मल सोने का बनाया ॥२१। और धूप बेदी को शमशाद की लकड़ी से बनाया जिस की लंबाई एक हाथ और चौड़ाई एक हाथ चौकोर बनाया और उस की ऊंचाई दो हाथ और उस के सींग उसी से थे॥२६ । और उस का हपना और उस की चारों और को अलंग और उस के मौंग निर्मल सोने से मढ़े और लम के लिये सोने के चारों ओर कलस बनाये॥ २७॥ और उस ने उस के कलस के नीचे के लिये उस के दोनों कोनों के पास उस की दोनों अलंगों पर जिसने उस के उठाने के यगर के स्थान होवें सोने के दो कड़े बनाथे ॥ २८। और उस ने बहारों को शमशाद की लकड़ी से बनाया और उन्हें सोने से मढ़ा । २६ । और अभिषेक का पवित्र नेल और गंधी के कार्य के समान सुगंध य से चोखी धूप बनाई। ३८ अठतीमयां पर्व पर उसने यज्ञवेदी को शमशाद की लकड़ी से बनाया उस की लंबाई पांच हाथ और चौड़ाई पांच हाथ चाखूटी और उम की ऊंचाई तीन हाथ ॥ २। और उस के चारों कोनों पर सौंग बनाय उम के सौंग उम में से थे और उस ने उन्हें पीतल से मढ़ा। ३। और उस ने