पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२१०

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[४ पन्न ले व्यव्यावस्था कुछ करें जो विपरीत है और अपराधी हो जायें ॥ १४। तो जब छुह पाप जो उन्हों ने किया जाना जाने तय मंडली एक बड़ा पाप के बलिदान के लिये लेवे और मंडली के तंत्र के मान्ने लावे॥ १५ । और मंडली के प्राचीन छपने हाथ परमेश्वर के आगे उस बड़े के सिर पर रकलें और बड़ा परमेश्वर के आगे कलि किया जाये ॥ १६ । और याजक जो अभिषेक किया हुया है उस बछड़े के लोहू में से मंडली के तंबू में लावे ॥ १७॥ और याजक अपनी अंगुली लोहू में डुबो के परमेश्वर के भागे घंघट के सामने मात बार किडको ॥ १८। और लोहू से बेदी के सोंगों पर जो परमेश्वर के आगे मंडली के तंब में है खगावे और उबरा हुआ लोह होम को भेट को बेदी की जड़ पर जो मंडली के नंबू के द्वार पर है ढाल दे ॥ १६॥ और उस की सारी चिकनाई निकाल के बेदी पर जलावे ॥ २.। और जैसे अपराध के बलिदान के बक्कड़े से किया था वैसाही इस बछड़े से करे चार याजक उन के लिये प्रायश्चित्त करे और बुह उन के लिये क्षमा किया जायगा। २१। और उस बछड़े को छावनी से बाहर ले जाब और जैसा उस ने पहिली यझ्यिा को जलाया घा बैमा इसे भी जलावे यह मंडनी के लिये पाप की भेट है। २२ । जब काई अध्यक्ष पाप करे और अज्ञानता से अपने परमेश्वर की किसी आज्ञा में से कोई ऐसा कार्य करे जो उचित न था और अपराधी होये ॥ २३ । अथवा यदि उस का पाप जिसे उस ने किया जाना जावे तब बुह बकरी का निखाट नर मेम्ना अपनी भेंट के लिये लाये॥ २४ । और अपना हाथ उस बकरे के सिर पर रक्खे और उसे उप्त स्थान में जहां होन की सेट चलि होती है परमेश्वर के आगे बलि करे यह पाप को भेंट है॥ २५। और याजक पाप की भेट के लोह में से अपनी अंगुली पर लेके भेट के बलिदान के सौगां पर जगावे चार 'उस का लोह होम की भेट की बेदीको जड़ पर टाले ॥ २६ । चार उम् की सब चिकनाई कुशल की भेंट के बलिदान की बंदी पर जलावे और याजक उनके पाप के कारण प्रायश्चित करे और उस के लिये शना किया जायगा । २०। र यदि उस देश के लोगों में से अज्ञानता से कोई पाप करे और परमेश्वर की श्राज्ञा के