पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२११

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५ पळ कौ पुस्तक विरुड अनचित करे और दोषी हो ॥ २८। अथवा यदि उम का पाप जो उम ने किया है उसे जान पड़े तब बुह अपने पाप के लिये जो उम ने किया है अपनी भर के लिये एक स्वी वर्गनिखाट बकरी का एक मेम्ना लावे॥ २६ । और अपना हाथ पाप की भट के सिर पर रक और पाप को भेंट को भेट के बलिदान के स्थान में बलि करे। ३. और याजक उस के लोहू में से अपनी उंगली पर लेवे और जलाने की भेट की बेदी के सौंग पर लगाये और उस का समस्त लेाह बेदी की जड़ पर ढाले ॥ ३१। और उस की सब चिकनाई जिस रीति से कुशल की भेट के बलिदान की चिकनाई अलग किई जाती है अलग करे और बाजक उमे परमेश्वर के सगंध के लिये बेदौ पर जलावे चौर याजक उम के लिये प्रायश्चित करे और बुह उस के लिये क्षमा किया जायगा । ३२ । और यदि वह अपने पाप को भेट के लिये मेम्ना लावे तो बुह एक स्त्री बर्ग निखाट लाबे॥ ३३ । और वह अपना हाथ अपने पाप की भर के सिर पर रकले और उसे जहां जलाने की भेट बलि किई जाती है वहां पाप के लिये बलिदान करे॥ ३४ ! और याजक पाप को भेट के लोहू से अपनी अंगुली पर लेके होम की भेंट को बेदी के सोंगों पर लगावे और उस का समस्त लोहू बेदी की जड़ पर ढाले ॥ ३५ । और उस की समस्त चिकनाई जिम रीति से कि कुशल की मेंट के बलिदान की चिकनाई उस मेम्ना से अलग किई जाती है अलग करे और याजक उन्हें परमेश्वर की आग की भर के समान वेदी पर जलाये और याजक उस के पाप के लिये जो उन ने किया है यह प्रायश्चित करे और वह उस के निये क्षमा किया जायगा। ५ पांचवां पई। करे होवे चाहे देखा अथवा जाना है। यदि बुह न बतावे तो बुह दोषी होगा॥ २। अथवा यदि कोई प्राणा काई अपवित्र बस्तु छूये चाहे अपवित्र पशु को लेाथ अथवा अपवित्र हार की लोय अथवा अपविद रंगवैया जंतु की लोथ क्रूये और उसमे अमान होवे तो वह अपवित्र और [ [A. B. S.) 26